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what is surveying in civil engineering,Surveying ,सर्वेक्षण Part 1

 what is surveying in civil engineering

सर्वेक्षण (Survey)

Surveying is the art to determing the relative position of a points and the distance and angles between them.  

सर्वेक्षण सिविल इंजीनियरिंग की वो शाखा है।जिसके अन्तर्गत किसी एक बिंदू के सापेक्ष किसी दूसरे बिंदू की भूतल पर या भूगर्भ या आकाश में ऊंचाई या गहराई का पता लगाया जाता है। उसे ही सर्वेक्षण कहा जाता है।

सर्वेक्षण सिविल इंजीनियरिंग का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है।

इसकी सहायता से ही किसी क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।तथा निर्माण संबंधी ड्राइंग बनाकर निर्माण कराया जाता हैं। 


सर्वेक्षण का उद्देश्य ( purpose of survey)

सर्वेक्षण के निम्न उद्देश्य है।

1 सर्वेक्षण क्षेत्र का नक्शा या मानचित्र बनाना, क्षेत्र से प्राप्त मापो को ड्रॉइंग सीट पर आलेखित करना।

2 विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए स्थल का चयन करना जैसे , रेल , सड़क, पाइप लाइन ,सीवर लाइन आदि।

3 सतह पर किसी बिंदू की स्थिति ज्ञात करना।

4 विभिन्न प्राकृतिक और कृत्रिम बिंदुओ की ऊंचाई और गहराई का पता लगाना।

5 विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए layout बनाना। 

6 भूमि की सीमाएं निर्धारित करना ।

7 निर्माण कार्यों के लिए मिट्टी की भराई व कटाई का परिमाण ज्ञात करना।


सर्वेक्षण का वर्गीकरण   (classification of survey)

सर्वेक्षण का वर्गीकरण निम्न आधार पर किया जाता है।

(1)भू वर्कता के आधार पर 

(2) सर्वेक्षण क्षेत्र के आधार पर 

(3) उद्देश्य के आधार पर 

(4) उपकरण के आधार पर 

(1)भू वर्कता के आधार पर 

भूमि के वर्कता के अनुसार इसे दो भागो में बांटा गया है।

(i) समतल सर्वे या साधारण सर्वे (Plain survey)

(ii) भू पृष्ठीय सर्वे (Geodetic survey)

(i) समतल सर्वे या साधारण सर्वे (Plain Survey)

जब हम पृथ्वी की सतह को समतल मान कर उसपे सर्वे का काम करते है। तो इसे समतल सर्वे कहा जाता है। परन्तु वास्तव में पृथ्वी की सतह समतल नही होती है।इसमें 12km पर 1 cm का वक्र आता है।अर्थात 12 km पर इसकी जीवा और व्यास में केवल 1 cm का अंतर आता है।

अत: छोटे दूरियों तथा छोटे कोणो में वक्रता के प्रभाव को नगण्य माना जाता है।और छोटे दूरियों पर पृथ्वी की सतह को समतल मान लिया जाता है। 

इस प्रकार छोटे दूरियों के लिए किया जाने वाला सर्वे समतल सर्वेक्षण कहलाता है।

(ii) भू पृष्ठीय सर्वे  (Geodetic survey)

ये सर्वे बड़े भू भाग पर किया जाता है ,इसमें पृथ्वी की वक्रता पर ध्यान रखा जाता है। सामान्यत 195 sq km के ऊपर जब सर्वेक्षण किया जाता है।तो ये  भू पृष्ठीय सर्वेक्षण कहलाता है।

(2) सर्वेक्षण क्षेत्र के आधार पर 

(a)  थल सर्वेक्षण 

(b)  जल सर्वेक्षण 

(c) खगोलीय सर्वेक्षण 

(a) थल सर्वेक्षण (Land survey)

भूमि पर स्थित विभिन्न प्राकृतिक और कृत्रिम बिंदुओ को नक्शे द्वारा प्रदर्शित करने के लिए जो सर्वेक्षण किया जाता है।उसे थल सर्वेक्षण कहते है।इसके अंर्तगत निम्न सर्वेक्षण आते है।

(i) स्थल आकृति सर्वेक्षण (Topographical survey) 

भूमि पर स्थित प्राकृतिक तथा कृत्रिम लक्षणों को नक्शे द्वारा प्रदर्शित करने के लिए जो सर्वेक्षण किया जाता है।उसे स्थल आकृति सर्वेक्षण कहते है। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य किसी प्राकृतिक और कृत्रिम बिंदू जैसे पहाड़, नदी,नाला ,झील, जंगल, सड़क, पुल,नहर रेललाइन तथा आबादी की स्थिति व आकार निर्धारित करने के लिए किया जाता है। 

(ii) भू कर सम्बन्धी सर्वेक्षण (Cadastral survey) 

इस प्रकार का सर्वेक्षण भूमि का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए तथा संपत्ति रेखा निर्धारित करने के लिए किया जाता है। भूमि के क्रय विक्रय के समय भूमि का क्षेत्रफल इसे सर्वेक्षण से निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त नगरपालिकाओं, नगरों ,तथा राज्यों की सीमाओं का निर्धारण भी किया जाता है। 

(iii) नगर सर्वेक्षण(City survey) 

ये सर्वेक्षण शहर के अंदर किया जाता है।इसमें सीवर लाइन का 

सर्वेक्षण ,नलीयो, जल आपूर्ति लाइन ,आदि के लिए किया जाता है।इस सर्वेक्षण में नगरों की सड़के, नालिया ,सीवर लाइन आदि दिखाए जाते है। 

(iv) इंजिनियरिंग सर्वेक्षण (Engineering survey) 

इस प्रकार का सर्वेक्षण इंजीनियरिंग परियोजना के लिए किया जाता है।इसमें डिजाइन संबंधी डाटा लेकर उसके मदद से नक्शे बनाए जाते है।  


(b) जल सर्वेक्षण (Marine survey)

उसे  जल सर्वेक्षण या समुंद्री सर्वेक्षण भी कहते है।इस प्रकार का सर्वेक्षण समुंद्र की गहराई तथा उसका विस्तार का पता लगाने के लिए ,समुंद्र के अन्दर जीव जंतुओं की खोज के लिए , बंदरगाहों के निर्माण के लिए किसी स्थान पर समुंद्र के पानी की मात्रा ज्ञात करने में तथा ज्वार भाटे का पता लगाने के लिए किया जाता है। अर्थात जल से संबंधित जो भी सर्वेक्षण किया जाता है उसे जल सर्वेक्षण कहते है।

(c) खगोलीय सर्वेक्षण (Astronomical survey)

ये सर्वेक्षण खगोलीय पिंडो के अध्यन के लिए किया जाता है।

इस सर्वेक्षण में सूर्य ,चंद्र तथा आकाशी पिंडो के प्रेक्षण लिया जाता है। 

(3) उद्देश्य के आधार पर (According to purpose) 

उद्देश्य के आधार पर  सर्वेक्षण को निम्न भागो में बांटा गया है।

(a) इंजीनियरिंग सर्वेक्षण (Engineering survey)

इस प्रकार का सर्वेक्षण इंजीनियरिंग के निर्माण करने के लिए किया जाता है।जैसे सड़क ,पुल ,नहर, ब्रिज , टनल , आदि के निर्माण के लिए जो डाटा की आवश्कता होती है।उसे इसी सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र किया जाता है।

(b) फौजी सर्वेक्षण (Military survey)

मिलिट्री के कार्यों के लिए जो सर्व किया जाता है।उसे मिलिट्री सर्वेक्षण कहते है।इस प्रकार के सर्वेक्षण में सैनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों, बिंदुओ,मार्ग , दर्रो, आदि का पता लगाया hi

इस सर्वेक्षण में भूमि के अंदर पड़ी पुरानी वस्तुओ , पुराने चिन्हों,तथा पुरातत्व महत्व के अवशेषों को खोजने के लिए किया जाता है। 

(d) खनन सर्वेक्षण (Mining survey)

ऐसे सर्वेक्षण उन स्थानो पर किया जाता है। जहां खनिज पदार्थों के संभावना अधिक होती है।ये सर्वेक्षण भूमि के अंदर खनिज पदार्थो का पता लगाने के लिए किया जाता है।इसके अतिरिक्त उनकी स्थिति तथा विस्तार का भी इसे सर्वेक्षण से पता लगाया जाता है। 

(e) भूगर्भ सर्वेक्षण (Geological survey)

ये सर्वेक्षण भूमि के अंदर उपस्थित चट्टानों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त भूमि के अंदर सुरंग,रेलमार्ग, आदि बनाने के लिए भी ये सर्वेक्षण किया जाता है। 

(f) जल विज्ञान सर्वेक्षण (Hydrological survey)

 इस प्रकार के सर्वेक्षण में सतह के उपर तथा भूमि के अंदर जल की उपलब्धता का पता लगाया जाता है। 

(4) उपकरण के आधार पर (On basis of instruments)

उपकरण के आधार पर सर्वेक्षण को निम्न भागो में बांटा गया है।

1 जरीब सर्वेक्षण (chain survey) 

2 पटल सर्वेक्षण (Plane table survey)

3 दिक सुचक सर्वेक्षण (Compass survey)

4 थियोडोलाइट सर्वेक्षण (theodolite survey)

5 फोटो सर्वेक्षण (Photo survey)

6 टैकोमेट्री सर्वेक्षण (Tacheometric survey)

7 त्रिकोणमिति सर्वेक्षण (Trigonometry survey)

8 तलेक्षण(Levelling) 

सर्वेक्षण का सिद्धांत 

सर्वेक्षण के निम्नलिखित दो सिद्धांत होते है।

(1) पूर्ण से अंश की ओर कार्य करना ।

(2) नए  बिंदू का निर्धारण कम से कम दो संदर्भ  बिंदुओ से निर्धारित करना। 

(1) पूर्ण से अंश की ओर कार्य करना 

इस सिद्धांत के अनुसार जिस क्षेत्र का सर्वेक्षण करना होता है। उस क्षेत्र की सीमाओं पर आवश्यक संख्या में उच्च परिशुद्धता के साथ नियंत्रण बिंदू स्थापित करते है।इन नियंत्रण बिंदुओ की सहायता से कुछ उप बिंदू स्थापित करते है।इन सभी नियंत्रण बिंदुओ को स्थापित करने के बाद  सर्वेक्षण क्षेत्र की आकृतिओ का  जरीब सर्वेक्षण से या पटल सर्वेक्षण से या कंपास सर्वेक्षण से क्षेत्र का नक्शा बना लिया जाता है।

इस सिद्धांत के अनुसार सम्पूर्ण क्षेत्र को छोटे छोटे आकृतिओ में बांट लिया जाता है। 

(2) नए बिंदू का निर्धारण कम से कम दो संदर्भ बिंदुओ से निर्धारित करना। 

इस सिद्धांत के अनुसार किसी नए बिंदू को कम से कम दो बिंदुओ के संदर्भ में ही स्थापित करना चाहिए ।जो दो बिंदू अपनी जगह पर  ही स्थिर रहे  सर्वेक्षण के बाद भी जिससे बाद में भी  उस बिंदू से स्थिति का पता लगाया जा सके । नए बिंदू को स्थापित करने के लिए दूरी नाप ली जाती है।या कोण ले लिया जाता है।या दोनो के ही मदद से नए बिंदू का निर्धारण किया जाता है। 


रैखिक माप की इकाइयां 

12 inches

1 foot

3 feet

1 yard

4 poles

1 chain( 66 feet)

10 chain

1 furlong

8 furlongs

1 mile

100 links

1 chain (66 feet)

6 feet

1 fathom

120 fathoms

1 cable length

6080 feet

1 nautical mile

10 milimetres

1 centimetre

10 centimetres

1 decimetre

10 decimetres

1 metre

10 metres

1 decameter

10 decameter

1 hectometer

10 hectometer

1 kilometre

1852 metres

1 nautical mile

 



Ii


 Read more 

Cement 

सीमेंट क्या है

Part 2 ---- surveying 

Part 3----- Surveying

Part 4----- Surveying 

Part 5----- Surveying 

Part 6----- Surveying 

Part 7----- Surveying 

R.C.C................


In English surveying .........


                        सर्वेक्षण कार्य में त्रुटियां.......... 

For english blog ......



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