तलेक्षण की परिभाषा( Definition of levelling)
भूमि पर स्थित किसी बिंदु की ऊंचाई या गहराई किसी निर्देशित तल से ज्ञात करना तलेक्षण या तल मापन कहलाता है।
इसके द्वारा ही भूमि पर स्थित विभिन्न बिंदुओ की सापेक्ष उच्चता ज्ञात की जा सकती है।
तलेक्षण का सिद्धांत
इसके अनुसार यदि किसी बिंदु पर गज का पाठ्यांक अधिक पढ़ा जाता है, तो वह बिंदु नीचे होगा।
और यदि यदि किसी बिंदु पर गज का पाठ्यांक कम पढ़ा जाता है, तो वह बिंदु ऊपर होगा।
तलेक्षण से संबंधित मूल शब्दावली। ( Basic terms used in levelling)
(1) समतल सतह ( Level Surface)
समतल सतह ऐसी सतह को कहते है, जिस पर स्थित प्रत्येक बिंदु पृथ्वी के केंद्र से समान दूरी पर हो ,और इसके सभी बिंदुओ की ऊंचता समान हो।
इस प्रकार समतल सतह सदा पृथ्वी की माध्य गोलाभ सतह( Mean Spheroidal Surface) ke समांतर होगी और साहुल रेखा के लम्बवत होगी।
पृथ्वी का धरातल वक्र होने के कारण समतल सतह भी वक्र होती है।
झील का शांत जल एक समतल सतह प्रदर्शित करता है।
(2) समतल रेखा (Level Line)
समतल सतह पर स्थित कोई भी सीधी रेखा को समतल रेखा कहते है ।ये हर एक बिंदु पर साहुल रेखा के लम्बवत होगी।
(3) क्षैतिज समतल(Horizontal Plane)
समतल सतह पर स्थित किसी बिंदु की स्पर्शज्या समतल को क्षैतिज समतल कहते है। ये उस बिंदु पर साहुल रेखा के समकोणिक होगा।
(4) क्षैतिज रेखा( Horizontal Line)
क्षैतिज समतल पर उपस्थित कोई भी सीधी रेखा को क्षैतिज रेखा कहते है।
(5) उर्ध्वाधर समतल(Vertical Plane)
समतल सतह के किसी बिंदु पर लम्बवत समतल को उर्ध्वाधर समतल कहते है।
(6) उर्ध्वाधर रेखा(Vertical line)
उर्ध्वाधर समतल पर स्थित कोई भी सीधी रेखा उर्ध्वाधर रेखा कहलाती है। ये समतल रेखा के लंबवत व साहुल की दिशा में होती है।
(7) उर्ध्वाधर कोण(Vertical Angle)
किसी उर्ध्वाधर समतल में स्थित किन्ही दो रेखाओं के बीच बनने वाले कोण को उर्ध्वाधर कोण कहते है।
(8) निर्देशित तल या आधार रेखा(Datumn Surface or Datum Line)
ये एक काल्पनिक समतल सतह या रेखा होती है।जिसके संदर्भ में अन्य बिंदुओ की उच्चता ज्ञात की जाती है।
भारत में मुंबई में माध्य समुंद्र तल को निर्देशित तल माना गया है।
माध्य समुंद्री तल ,ज्वार भाटे की सभी अवस्थाओ में समुंद्र का औसत तल है,जो गत 19 वर्षो के आकड़ो के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
(9) समानीत तल(Reduced Level)
निर्देशित तल से किसी बिंदु की ऊंचाई या गहराई उस बिंदु का समानीत तल कहलाता है।
निर्देशित तल से यदि कोई बिंदु ऊपर स्थित है तो उसका मान धनात्मक लिया जाता है
यदि नीचे स्थित है तो उसका मान नेगेटिव लिया जाता है
(10) निर्देशित तल चिन्ह(Bench mark)
निर्देशित तल चिन्ह ऐसे स्थाई बिंदु या निशान को कहते है, जिसकी उच्चता किसी संदर्भित निर्देशित तल से ज्ञात होती है और जिसके संदर्भ से क्षेत्र के अन्य बिंदुओ की उच्चता मापी जाती है।
लेवलिंग का कार्य हमेसा तल चिन्ह से शुरू किया जाता है।अथवा तल चिन्ह पर लाके समाप्त किया जाता है।
निर्देशित तल चिन्ह निम्न प्रकार के होते है।
(1) जीo टीo एसo या महात्रिकोणी सर्वेक्षण तल चिन्ह(G.T.S Bench mark)
2 स्थाई तल चिन्ह ( Permanent Bench Mark)
3 अस्थाई तल चिन्ह ( Temporary Bench Mark)
4 स्वेच्छ तल चिन्ह ( Arbitrary Bench mark)
(1) जीo टीo एसo या महात्रिकोणी सर्वेक्षण तल चिन्ह(G.T.S Bench mark)
ये मानक स्थाई तल चिन्ह है जो भारत के सर्वे विभाग ने बड़ी परिशुद्धता से माध्य समुद्र तल के सन्दर्भ में पुरे देश में उचित दूरीयो स्थापित कर रखे है।इनकी स्थिति और समानीत तल जीo टीo एसo नक्शे में दिए गए है। भारत में कंक्रीट की चौकी बनाकर ,उसके ऊपर कांसे की प्लेट जड़कर ,इस जगह का निर्देशित तल खुरच कर G.T.S बेंच मार्क की पुख्ता पहचान बना ली जाती है।
(2) स्थाई तल चिन्ह( Permanent Bench Mark)
चूंकि G.T.S बेंच मार्क की देश भर में संख्या बहुत कम है,और बहुत दूरी पर स्थित है। इसलिए तलेक्षण के कार्य में आसानी के लिए P.W.D विभाग ने G.T.S तल चिन्हों के मध्य स्थित क्षेत्र में तथा इनके संदर्भ में अपने तल चिन्ह स्थापित किए है, जिन्हे स्थाई तल चिन्ह कहते है। ये तल चिन्ह अधिकतर पक्के बिंदुओ पर ,जैसे सरकारी भवन की कुर्सी , कुए का फर्श ,पुलो के पैरापिट ,रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म ,सड़को /रेल पथ के मिली पत्थर आदि पर बनाए गए है।इसका मान पक्की सतह पर खुरच कर अंकित किया जाता है।
(3) अस्थाई तल चिन्ह( Temporary Bench Mark)
अस्थाई तल चिन्ह तब बनाया जाता है जब सर्वे का कार्य एक दिन में पूरा नही हो पाता है, तो उस अवस्था में अस्थाई तल चिन्ह स्थापित करके ,कार्य को उस पर रोक दिया जाता है, और अगले दिन उसी तल चिन्ह से कार्य को आगे बढ़ाया जाता है।
(4) स्वेच्छ तल चिन्ह ( Arbitrary Bench mark)
ये तल चिन्ह छोटे और कम महत्व वाले कार्यों में प्रयोग किया जाता है।ये निकट के क्षेत्र के किसी पक्के चबूतरे / या सड़क किनारे का कोई स्वेच्छ समानीत तल मान लिया जाता है।भवनों के तल निर्धारित करने तथा घरेलू जल निकास नालियों की ढाल के लिए स्वेच्छ तल चिन्ह काफी उपयोगी रहता है। ऐसे तल चिन्हों की उच्चता प्राय: 100.00 अथवा 200.00 मीटर ली जाती है।
उच्चता ज्ञात करने की विधियां
इसके लिए निम्न चार विधियां है।
1- वायु दाबमापी द्वारा
2- हाइप्सोमीटर द्वारा
3- त्रिकोणमिति गणनाओं द्वारा
4- पाण सल या स्प्रिट लेवल द्वारा
तलेक्षण यंत्र ( Levelling instruments)
A) तल मापन उपस्कर ( Equipments)
तलेक्षण के कार्य के लिए निम्न दो उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है।
a) लेवल यंत्र या तलमापी (level)
b) तलेक्षण गज ( levelling staff)
a) लेवल यंत्र या तलमापी (level)
लेवल यंत्र के चार घटक होते है।
1) दूरबीन( telescope)
ये दृष्टि रेखा स्थापित करता है ।जो एक काल्पनिक रेखा होती है।
2) पाणसल ( Bubble tube or level tube)
ये दृष्टि रेखा को ठीक क्षैतिज बनाता है।
3) समतलन हेड ( Levelling Head)
ये पाणसल बुलबुले को केंद्र में लाता हैं।
4) ट्राइपॉड ( Tripod)
इसके द्वारा यंत्र को उचित ऊंचाई पर स्थापित किया जाता है।
b) तलेक्षण गज ( levelling staff)
तलेक्षण गज ( levelling staff) लकडी का लम्बा आयताकार दण्ड होता है।जिसकी एक तरफ की फलक पर पेंट से मीटर और ( सेमी० व मिमी०) के निशान बने रहते हैं।
लेवल यंत्र से एक काल्पनिक क्षैतिज दृष्टि रेखा ,जिन बिंदुओ का तल अंतर ज्ञात करना होता है,उनके मध्य दौड़ाई जाती है और तलेक्षण गज पर इनका तल अंतर पढ़ लिया जाता है।
P sir
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DeletePooja Yadav
NIDHI SINGH
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DeleteNidhi singh
Sangharsh gupta
ReplyDeleteP sir
SANGHARSH GUPTA
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Arpita Sharma
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Sandeep kumar 1st
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Pawan kumar gupta
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Ritesh
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P Amarjeet Yadav
ReplyDeleteRam Prakash Chaudhary
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ReplyDeleteBalram Jaiswal
ReplyDeleteP sir
GEETESH KUMAR
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Sanjeev Kumar
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ReplyDeletePooja Yadav
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Lalit Kumar prajapati
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Pooja Yadav
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ReplyDeleteSantosh Gupta
DeleteSantosh Gupta
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Sushant kumar
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ReplyDeleteGyanendra pratap singh
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Santosh Gupta
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P sir
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ReplyDeleteP sir
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