जरीब सर्वेक्षण (Chain Survey) | सिद्धांत, प्रकार, फीता और उपकरण
📌 Introduction
सर्वेक्षण (Surveying) सिविल इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसमें क्षेत्र की दूरी, दिशा और सीमाओं को मापा जाता है। जरीब सर्वेक्षण (Chain Survey) सबसे सरल और प्राचीन तकनीक है, जिसमें जरीब या फीता का उपयोग किया जाता है।
🔹 जरीब (Chain) क्या है?
जरीब एक यांत्रिक उपकरण है जिसका उपयोग रेखीय दूरी नापने (Linear Measurement) के लिए किया जाता है।
-
यह जस्तीकृत मृदु इस्पात की कड़ियों से बनी होती है।
-
दोनों सिरों पर पीतल के हत्थे (Handles) लगे होते हैं।
-
यह छोटे और समतल क्षेत्रों के सर्वेक्षण के लिए उपयुक्त है।
👉 जरीब को चेन सर्वे (Chain Survey) में मुख्य उपकरण माना जाता है।
🔹 फीता (Tape) क्या है?
फीता (Tape) भी दूरी मापने का उपकरण है लेकिन इसमें कड़ियाँ नहीं होतीं।
-
यह जरीब से हल्का और अधिक शुद्ध (Accurate) होता है।
-
इसे कई प्रकार के पदार्थों से बनाया जाता है:
-
सूती फीता (Cotton Tape)
-
मेटलिक फीता (Metallic Tape)
-
इस्पाती फीता (Steel Tape)
-
इन्वार फीता (Invar Tape)
-
🔹 जरीब सर्वेक्षण के सिद्धांत (Principles of Chain Surveying)
जरीब सर्वेक्षण के 6 मुख्य सिद्धांत होते हैं:
-
माप (Measurement): सभी माप रैखिक और क्षैतिज समतल पर लिए जाते हैं।
-
सर्वेक्षण ढांचा (Framework): पूरे क्षेत्र को त्रिभुजों में बाँटकर सुआकार (Well Shaped) बनाया जाता है।
-
कार्य प्रगति (Work Progress): सर्वेक्षण कार्य सीमाओं से अंदर की ओर बढ़ता है।
-
उत्तर दिशा (North Direction): नक्शा बनाते समय क्षेत्र की उत्तर दिशा ज्ञात करनी आवश्यक है।
-
नये बिंदु (New Points): नए बिंदुओं की स्थिति कम से कम दो ज्ञात बिंदुओं से प्रेक्षण द्वारा ली जाती है।
-
खसके (Offsets): जरीब रेखा से हटकर किनारे के बिंदुओं को खसके द्वारा मापा जाता है।
🔹 जरीब कितने प्रकार के होते हैं? (Types of Chain)
प्रकार | लम्बाई | कड़ियों की संख्या | विशेषता / उपयोग |
---|---|---|---|
इंजीनियरिंग जरीब | 100 फुट | 100 | 1 कड़ी = 1 फुट, बड़े सर्वेक्षण कार्य |
गन्टर जरीब (Surveyor’s Chain) | 66 फुट | 100 | 1 कड़ी = 0.66 फुट, भूमि मापन में उपयोग |
राजस्व जरीब (Revenue / पटवारी) | 33 फुट | 16 | खेतों व जमीन मापन |
मीटरी जरीब | 5m, 10m, 20m, 30m | 25, 50, 100, 150 | 1 कड़ी = 20 सेमी, मीट्रिक सर्वेक्षण कार्य |
पत्ती जरीब (Steel Band) | 20m, 30m | निरंतर अंकन | इस्पात की पट्टी से बनी, उच्च शुद्धता |
🔹 जरीब सर्वेक्षण के लाभ
-
उपकरण सरल और सस्ते होते हैं।
-
कम समय में कार्य सम्पन्न होता है।
-
सामान्य कार्यों व सीमांकन (Boundary Marking) के लिए उपयुक्त।
-
बड़े पैमाने पर नक्शे तैयार करने के लिए उपयोगी।
🔹 जरीब सर्वेक्षण के उपकरण (Equipment Required)
-
जरीब (Chain)
-
फीता (Tape)
-
सुआ या तीर (Arrow)
-
आरेखन दण्ड (Ranging Rod)
-
खसका दण्ड (Offset Rod)
-
खुंटी व हथौड़ा (Peg & Mallet)
-
साहुल (Plumb Bob)
-
झंडिया (Flags)
-
संरेखन यंत्र (Line Ranger)
-
गुनिया (Optical Square, Open Cross Staff)
-
क्षेत्र पंजी (Field Book)
📌 निष्कर्ष (Conclusion)
जरीब सर्वेक्षण सबसे सरल, किफायती और प्रचलित सर्वेक्षण विधि है। इसमें केवल रैखिक दूरी मापी जाती है और छोटे व समतल क्षेत्रों में यह बेहद कारगर होता है। इंजीनियरिंग, भूमि मापन और राजस्व कार्यों में जरीब का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है।
Exam के लिए Most Asked Questions
जरीब सर्वेक्षण कितने सिद्धांतों पर आधारित है? (Ans: 6)
Gunter’s chain की लंबाई कितनी होती है? (Ans: 66 ft)
Revenue chain को और क्या कहते हैं? (Ans: पटवारी जरीब)
Metric chain में 1 link की लंबाई कितनी होती है? (Ans: 20 cm)
Invar tape का thermal expansion कैसा होता है? (Ans: बहुत कम)
जरीब सर्वेक्षण के कितने सिद्धांत है?
जरीब अथवा फीता क्या है?
जरीब कितने प्रकार के होते हैं?
जरीब( Chain)। जरीब का चित्र।
जरीब एक प्रकार का यंत्र जो रेखीय दूरी नापने के काम आती है।ये जस्तीकृत मृदु इस्पात के तार से कड़ियो को जोड़़ कर बनाई जाती है।जरीब को जरीब के चित्र द्वारा अच्छे से समझा जा सकता है। इसमें कड़ी के सिरो पर घुण्डी बनाकर तथा तीन छोटे छल्लो द्वारा कड़ियो को आपस में जोड़ कर वांछित लम्बाई की जरीब बनाई जाती है। जरीब के दोनो सिरो पर एक पीतल का हत्था लगा होता है। जिसकी मदद से जरीब को फैलाया जाता है।
जरीब सर्वेक्षण ऐसी जगह पर किया जाता है।जहा सर्वेक्षण क्षेत्र छोटा हो।या सामान्य कार्यों के लिए और क्षेत्र की सीमाएं निर्धारित करने के लिए ,सर्वेक्षण नक्शा बनाने के लिए जरीब सर्वेक्षण संतोषजनक रहता है।
जरीब सर्वेक्षण केवल रेखीय माप के लिए किया जाता है।जरीब
सर्वेक्षण में रेखाओ का कोणीय मान नहीं निकला जाता है।
निम्नलिखित स्थिति यो मे जरीब सर्वेक्षण अपनाना सही रहता है।
(i ) जब सर्वेक्षण क्षेत्र छोटा ,सीमित ,और खुला तथा लगभग समतल हो
(ii) जब नक्शे बड़े पैमाने पर तैयार करने हो।
(iii) जब सामान्य कार्य के लिए स्थलाकृतिक नक्शे की आवश्कता हो।
(iv) जब सर्वेक्षण के लिए उच्च परिशुद्धता वाले उपकरण उपलब्ध न हो।
जरीब सर्वेक्षण के लाभ।
(1) जरीब सर्वेक्षण कम समय मे सम्पन्न हो जाता है।
(2) इस सर्वेक्षण के लिए सरल प्रकार के उपकरणों की आवश्कता होती है।
(3) इस सर्वेक्षण में व्यय न्यूनतम आता है।
जरीब सर्वेक्षण के सिद्धांत( principles of chain surveying)
जरीब सर्वेक्षण के निम्न सिद्धांत है।
(1) माप
इसमें सभी माप रैखिक होते है।और क्षैतिज समतल पर लिए जाते है।
(2) सर्वेक्षण ढांचा
पूरे क्षेत्र को आपस में सटी हुई त्रिभुजो में बांटा जाता है।और त्रिभूजो को सुआकार (well shaped) बनाते है।
(3) कार्य प्रगति
सर्वेक्षण कार्य क्षेत्र की सीमाओं से अंदर की तरफ बढ़ाया जाता है।
(4) उत्तर दिशा
आरेखन कार्य को नक्शे पर बनाने के लिए, क्षेत्र की उत्तर दिशा अवश्य ज्ञात कर लेनी चाहिए।
(5) नये बिंदु
क्षेत्र में किसी नए बिंदु की स्थिति कम से कम दो पूर्व ज्ञात बिंदुओ से प्रेक्षण द्वारा निर्धारित कर लेनी चाहिए।
(6) खसके
जरीब रेखा से हटकर किनारे के तरफ कुछ बिंदु बनाए जाते है।जिन्हे खसके कहते है। जहां तक सम्भव हो, खसके जरीब दिशा के समकोण डाले जाए और जरीब रेखा से कोई बिंदु एक जरीब अथवा फीता लम्बाई से अधिक दूरी पर नहीं होना चाहिए।
जरीब सर्वेक्षण के लिये उपस्कर( Equipment required for chain survey)
जरीब सर्वेक्षण के लिए निम्न उपकरण प्रयोग किया जाता है।
(1) जरीब या चेन (chain )
(2) फीता ( Tape )
(3) सुआ या तीर ( Arrow or marking pin )
(4) आरेखन दण्ड या सर्वे दण्ड ( ranging Rod )
( 5 ) खसका दण्ड ( offset Rod )
( 6 ) खुंटी तथा काष्ठ हथोडा ( peg and mallet )
( 7 ) साहुल ( plumb bob )
( 8 ) झंडिया ( flags )
( 9 ) संरेखन यन्त्र ( line Ranger )
(10) समकोण रेखा डालने वाले यन्त्र (खुला गुनिया और प्रकाशिय गुनिया )
( 11 ) क्षेत्र पंजी (field Book)
(1) जरीब के प्रकार (types of chain)
(i) इंजीनियरिंग जरीब या 100 फुटी जरीब (Engineer chain)
(ii) गन्टर जरीब या सर्वेक्षण जरीब( Gunter chain or surveyor chain)
( iii ) राजस्व या पटवारी जरीब (Revenue chain)
( iv) मीटरी जरीब (Metric chain)
(v) पत्ती जरीब ( steel band)
(i) इंजीनियरिंग जरीब
इंजीनियरिंग जरीब को 100 फुटी जरीब भी कहते है। क्योंकि इस जरीब की लम्बाई 100 फुट होती है।इस जरीब में 100 कड़िया होती है।इस प्रकार एक कड़ी की लम्बाई एक फुट होती है। इसमें प्रतिएक 10 फुट पर पीतल की एक टांग वाली टिक्की तथा 20फुट पर दो टांग वाली टिक्की ,30 फुट पर तीन टांग वाली टिक्की, 40 फुट पर चार टांग वाली टिक्की लगाई जाती है और ठीक मध्य में एक गोल टिक्की लगाई जाती है। इस प्रकार जरीब की एक एक कड़ी नहीं गिनना पड़ता है।और टिक्की की मदद से ही जरीब की लम्बाई निकाल ली जाती है।
(ii) मेटेलिक फीता
NIDHI SINGH
ReplyDeletePRESENT
Present sir
DeleteP
DeleteNidhi singh
P
ReplyDeleteP
ReplyDeleteSangharsh gupta
ReplyDeleteP sir
P
ReplyDeleteArpita Sharma
ReplyDeleteP
Balram Jaiswal
ReplyDeleteP sir
Sandeep kumar 1st
ReplyDeleteP
P
ReplyDeleteP
ReplyDeleteSushant kumar
ReplyDeleteP
Geetesh Kumar
ReplyDeleteP
Santosh Gupta
ReplyDeleteP
Pooja Yadav
ReplyDeleteP
P
ReplyDelete