जरीब सर्वेक्षण के कितने सिद्धांत है?
जरीब अथवा फीता क्या है?
जरीब कितने प्रकार के होते हैं?
जरीब( Chain)। जरीब का चित्र।
जरीब एक प्रकार का यंत्र जो रेखीय दूरी नापने के काम आती है।ये जस्तीकृत मृदु इस्पात के तार से कड़ियो को जोड़़ कर बनाई जाती है।जरीब को जरीब के चित्र द्वारा अच्छे से समझा जा सकता है। इसमें कड़ी के सिरो पर घुण्डी बनाकर तथा तीन छोटे छल्लो द्वारा कड़ियो को आपस में जोड़ कर वांछित लम्बाई की जरीब बनाई जाती है। जरीब के दोनो सिरो पर एक पीतल का हत्था लगा होता है। जिसकी मदद से जरीब को फैलाया जाता है।
जरीब सर्वेक्षण ऐसी जगह पर किया जाता है।जहा सर्वेक्षण क्षेत्र छोटा हो।या सामान्य कार्यों के लिए और क्षेत्र की सीमाएं निर्धारित करने के लिए ,सर्वेक्षण नक्शा बनाने के लिए जरीब सर्वेक्षण संतोषजनक रहता है।
जरीब सर्वेक्षण केवल रेखीय माप के लिए किया जाता है।जरीब
सर्वेक्षण में रेखाओ का कोणीय मान नहीं निकला जाता है।
निम्नलिखित स्थिति यो मे जरीब सर्वेक्षण अपनाना सही रहता है।
(i ) जब सर्वेक्षण क्षेत्र छोटा ,सीमित ,और खुला तथा लगभग समतल हो
(ii) जब नक्शे बड़े पैमाने पर तैयार करने हो।
(iii) जब सामान्य कार्य के लिए स्थलाकृतिक नक्शे की आवश्कता हो।
(iv) जब सर्वेक्षण के लिए उच्च परिशुद्धता वाले उपकरण उपलब्ध न हो।
जरीब सर्वेक्षण के लाभ।
(1) जरीब सर्वेक्षण कम समय मे सम्पन्न हो जाता है।
(2) इस सर्वेक्षण के लिए सरल प्रकार के उपकरणों की आवश्कता होती है।
(3) इस सर्वेक्षण में व्यय न्यूनतम आता है।
जरीब सर्वेक्षण के सिद्धांत( principles of chain surveying)
जरीब सर्वेक्षण के निम्न सिद्धांत है।
(1) माप
इसमें सभी माप रैखिक होते है।और क्षैतिज समतल पर लिए जाते है।
(2) सर्वेक्षण ढांचा
पूरे क्षेत्र को आपस में सटी हुई त्रिभुजो में बांटा जाता है।और त्रिभूजो को सुआकार (well shaped) बनाते है।
(3) कार्य प्रगति
सर्वेक्षण कार्य क्षेत्र की सीमाओं से अंदर की तरफ बढ़ाया जाता है।
(4) उत्तर दिशा
आरेखन कार्य को नक्शे पर बनाने के लिए, क्षेत्र की उत्तर दिशा अवश्य ज्ञात कर लेनी चाहिए।
(5) नये बिंदु
क्षेत्र में किसी नए बिंदु की स्थिति कम से कम दो पूर्व ज्ञात बिंदुओ से प्रेक्षण द्वारा निर्धारित कर लेनी चाहिए।
(6) खसके
जरीब रेखा से हटकर किनारे के तरफ कुछ बिंदु बनाए जाते है।जिन्हे खसके कहते है। जहां तक सम्भव हो, खसके जरीब दिशा के समकोण डाले जाए और जरीब रेखा से कोई बिंदु एक जरीब अथवा फीता लम्बाई से अधिक दूरी पर नहीं होना चाहिए।
जरीब सर्वेक्षण के लिये उपस्कर( Equipment required for chain survey)
जरीब सर्वेक्षण के लिए निम्न उपकरण प्रयोग किया जाता है।
(1) जरीब या चेन (chain )
(2) फीता ( Tape )
(3) सुआ या तीर ( Arrow or marking pin )
(4) आरेखन दण्ड या सर्वे दण्ड ( ranging Rod )
( 5 ) खसका दण्ड ( offset Rod )
( 6 ) खुंटी तथा काष्ठ हथोडा ( peg and mallet )
( 7 ) साहुल ( plumb bob )
( 8 ) झंडिया ( flags )
( 9 ) संरेखन यन्त्र ( line Ranger )
(10) समकोण रेखा डालने वाले यन्त्र (खुला गुनिया और प्रकाशिय गुनिया )
( 11 ) क्षेत्र पंजी (field Book)
(1) जरीब के प्रकार (types of chain)
(i) इंजीनियरिंग जरीब या 100 फुटी जरीब (Engineer chain)
(ii) गन्टर जरीब या सर्वेक्षण जरीब( Gunter chain or surveyor chain)
( iii ) राजस्व या पटवारी जरीब (Revenue chain)
( iv) मीटरी जरीब (Metric chain)
(v) पत्ती जरीब ( steel band)
(i) इंजीनियरिंग जरीब
इंजीनियरिंग जरीब को 100 फुटी जरीब भी कहते है। क्योंकि इस जरीब की लम्बाई 100 फुट होती है।इस जरीब में 100 कड़िया होती है।इस प्रकार एक कड़ी की लम्बाई एक फुट होती है। इसमें प्रतिएक 10 फुट पर पीतल की एक टांग वाली टिक्की तथा 20फुट पर दो टांग वाली टिक्की ,30 फुट पर तीन टांग वाली टिक्की, 40 फुट पर चार टांग वाली टिक्की लगाई जाती है और ठीक मध्य में एक गोल टिक्की लगाई जाती है। इस प्रकार जरीब की एक एक कड़ी नहीं गिनना पड़ता है।और टिक्की की मदद से ही जरीब की लम्बाई निकाल ली जाती है।
(ii) गन्टर जरीब
गन्टर जरीब को सर्वेक्षक जरीब भी कहते है।इसकी लम्बाई 66 फुट होती है।इस जरीब में 100 कड़िया होती है।और एक कड़ी की लम्बाई 0.66 फुट होती है।इस जरीब 10 कड़ियों के अंतराल पर एक टिक्की लगी होती है।गन्टर जरीब से दूरी जरीब तथा कड़ियों की संख्या में पढ़ी जाती है।
(iii) राजस्व जरीब
इसे पटवारी जरीब भी कहते है।इस प्रयोग खेतो की जमीनों को नापने तथा सीमाओं को निर्धारण करने में किया जाता है।
ये जरीब 33 फुट लम्बी होती है।इसमें कुल 16 कड़िया होती है। और प्रत्येक कड़ी की लम्बाई 2.0625 फुट होती है।
(iv) मीटरी जरीब
मीटरी जरीब लम्बाई के अनुसार चार प्रकार की होती है।
(1) 30 मीटरी जरीब इसमें कड़ियों की संख्या= 150 होती है।
(2) 20 मीटरी जरीब इसमें कड़ियों की संख्या=100 होती है।
(3) 10 मीटरी जरीब इसमें कड़ियों की संख्या= 50 होती है।
(4) 5 मीटरी जरीब इसमें कड़ियों की संख्या= 25 होती है।
नोट एक कड़ी की लम्बाई= 20cm होती हैं।
प्रत्येक 5 मीटर पर अर्थात 25 कड़ी पर एक टिक्की लगी होती है। प्रत्येक टिक्की पर M लिखा होता है,जो इसके मीटरी जरीब होने की पहचान होती है।
जरीब के शुरू में ही एक हैंडल लगा होता है।जिसपर जरीब की लम्बाई लिखी होती है।कार्य शुरू करने से पहले ही जरीब की लम्बाई देख लेनी चाहिए।
(v) पत्ती जरीब या इस्पतीय बेण्ड
ये जरीब इस्पात की पत्ती की बनी होती है।इसकी चौड़ाई 12mm से 16mm होती है।और मोटाई 0.3 से 0.6mm होती है।इसकी लम्बाई 20 मीटर या 30 मीटर होती है।इसमें प्रत्येक मीटर की दूरी पर अंक बने होते है।
जरीब की जाँच तथा समायोजन
जाँच
जरीब की लम्बाई की जाँच, किसी मानक जरीब अथवा मानक इस्पाती फीते से की जाती है।जो लम्बाई जांचने के लिए ही उद्देेेश्य से आरक्षित हो।
समायोजन
जरीब की बढ़ी हुई लम्बाई कम करना
i) खुले हुये छल्लो के मुँह हथोड़े से पीटकर बन्द कर दें ।
i i ) चपटे हो गये छल्लो को पुनः गोलाकार रूप मे ले आये।
i i i ) बडे आकार के छल्लो को निकालकर छोटे व्यास के छल्ले डाल दे।
iv) हत्थो के पास वाली कड़ी को बदल दे । इस कड़ी को समायोजन कड़ी कहते हैं। इस कड़ी की लम्बाई अन्य कड़ियो से कम होती है।
जरीब की कम हुई लम्बाई को बढ़ाना।
i) मुड़ी हुई कड़ियो को पीटकर सीधा कर दे।
ii) गोल छल्लो को पीटकर सीधा कर दे।
iii) छोटे छल्लो को निकाल कर बड़े व्यास के छल्ले डाल दे।
iv) आवश्कतानुसार नये छल्ले डाल दे।
v) हत्थो के पास वाली कड़ी को समायोजित कर दे।
(2) फीता(Tape)
इससे जरीब की तरह ही दूरी मापी जाती है।परंतु ये जरीब से हल्का होता है।इसमें कोई कड़ी नहीं होती है। इससे दूरी अधिक शुद्धता से मापी जा सकती है।ये लाना और ले जाना आसान होता है।जरीब की तुलना में ये काफी हल्का होता है।इसे अनेक पदार्थो से बनाया जाता है। जो निम्नलिखित है।
(i) सूती फीता
(ii) मेटेलिक फीता
(iii) इस्पतीय फीता
(iv) इन्वार फीता
(i) सूती फीता
ये फीता सूती कपड़े का बना होता है। इसकी लम्बाई फुट में 66 फुट, 100फुट होती है।
मीटर में ये 10 मीटर, 20 मीटर और 30 मीटर के बनाये जाते है।
इस फीते के पट्टी की चौड़ाई 12- 15 mm रखी जाती है।
ये एक सस्ता फीता होता है।जो जल्दी खराब हो जाता है।इस पर पानी पड़ने से ये खराब हो जाता है। और इसकी लम्बाई में दोष आ जाता है। परिशुद्ध कार्यों के लिए इस फीते का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(ii) मेटेलिक फीता
इस फीते को बनाने के लिए उच्च सामर्थ्य के लिनन के धागों के साथ धातु जैसे ब्रास,कॉपर,या ब्रोंज की महीन तारो के साथ बुनकर ये फीता बनाया जाता है।इस की चौड़ाई 10-15 mm होती है।
ये 10 मीटर,15 मीटर,20मीटर,30मीटर, और 50 मीटर की लम्बाई में बनाया जाता है।
इसके एक सिरे पर छल्ला लगा होता है। जिसकी लम्बाई पहले मीटर में जुड़ी रहती है।
नमी से बचाने के लिए इसके ऊपर वार्निश कर दी जाती है।
(iii) इस्पाती फीता
ये एक लचकदार इस्पात की पत्ती का बना होता है। जिसकी चौड़ाई 6mm से 10 mm तक होती है। ये 1मीटर 2मीटर 5 मीटर 10 मीटर 20 मीटर व 30 मीटर की लम्बाई में बनाया बनाया जाता है इस पर 5 mm तक के माप पढ़े जा सकते हैं इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।
परिशुद्ध माप के लिए इस फीते का प्रयोग करते है। इस फीते में जग लगने की सम्भावना अधिक होती है। इसी कारण इसी नमी से बचाना चाहिए।
(iv) इन्वार फीता
ये फीता मिश्र धातु का बना होता है।जिसमे निकल 36% और इस्पात 64% होता है। इसकी चौड़ाई 6mm तथा लम्बाई 30मीटर या 50 मीटर या 100 मीटर होती है।
इसका तापीय प्रसार गुणाक बहुत कम होता है।इस फीते का प्रयोग उच्च परिशुद्ध वाली माप के लिए किया जाता है।
ये फीता काफी नाजुक और महंगा होता है।इसी कारण इसका प्रयोग बहुत ही सावधानीपूर्वक किया जाता है।
(3) सुआ या तीर ( Arrow or marking pin)
ये 4 mm मोटी इस्पातीय तार का बना एक सुआ होता है।जिसकी लम्बाई 40 cm होती है।सुआ का एक सिरा नुकीला होता है।तथा दूसरे सिरे पर 5 cm व्यास का लूप बना होता है।
इसका प्रयोग जमीन पर निशानदेही करने तथा गणना करने के लिए किया जाता है।
अधिक घास फूस वाली जगह पर इसके ऊपरी सिरे में सफेद या लाल कपड़े का टुकड़ा बांध दिया जाता है।
जिस जगह पर सुआ गाड़ना संभव न हो जैसे पथरीली जमीन, वहा पर जमीन पर क्रास का निशान बनाके सुआ उसके निकट रख दिया जाता है।
(4) आरेखन दण्ड (Ranging Rod)
भूमि पर स्थित दो बिंदुओ के बीच की रेखा को सीधा करने तथा सर्वे स्टेशनों को दूर से पहचान लिए आरेखन दण्ड का प्रयोग किया जाता है।
जब एक सिरे से देखने पर आगे के तीन आरेखन दण्ड आंख की सीध में हो तो उनको मिलने वाली रेखा सीधी होती है।
आरेखन दण्ड सीधी लकड़ी या लोहे के पाइप का बनाया जाता हैं।
इसकी लम्बाई 2 से 3 मीटर होती है। इस के ऊपर 20 cm के मोटाई पर काली या सफेद या लाल पट्टी में पेंट कर दिया जाता है।
5 ) खसका दण्ड ( offset Rod ) खसका दण्ड एक प्रकार का दंड होता है।इसका प्रयोग खाई या झाड़ी वाले स्थान पर जरीब के द्वारा नाप लेने में किया जाता है। खूँटी को सर्वेक्षण स्टेशनो की पहचान करने के लिए उस बिंदु पर गाड़ दी जाती है। ये लकड़ी की बनी होती है। उसके ऊपर स्टेशन का नाम लिख दिया जाता है।
NIDHI SINGH
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Present sir
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DeleteNidhi singh
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ReplyDeleteSangharsh gupta
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ReplyDeleteArpita Sharma
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Balram Jaiswal
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Sandeep kumar 1st
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ReplyDeleteSushant kumar
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Geetesh Kumar
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Santosh Gupta
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Pooja Yadav
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