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Part 6 जरीब मापन में बाधाये

 


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जरीब मापन में बाधाये,,,,,,

कभी कभी जरीब से मापन करते समय जरीब रेखा के बीच बहुत सी बाधाये आ जाती है। जैसे ऊंचा टीला ,नदी ,नाला ,खाई तालाब ,झाड़ी ,दलदली भूमि भवन आदि।

यदि इन बाधाओ से निकल पाना संभव न हो तो बाधाओ की दूरी अप्रत्यक्ष मापों से ज्ञात की जाती है।इन बाधाओ को हम निम्न श्रेणी में रख कर करते है।

(1) आरेखन में बाधा 

(2) जरीब मापन में बाधा 

(3) आरेखन तथा जरीब मापन दोनो में बाधा 

 जब जरीब रेखा पर कोई ऊंचा टीला आ  जाए  

जब जरीब  रेखा पर कोई ऊंचा टीला आ जाए तब दो स्थिति उत्पन हो सकती है। 

स्थिति 1 

यदि जरीब रेखा के दोनो छोर, उस पर स्थित किसी अंतरवर्ती बिंदु से दिखाई पड़ते है, तो अन्योन्य आरेखन विधि अपनाई जाती है। 

स्थिति2 

जब जरीब रेखा के छोर, उस पर स्थित किसी भी अंतरवर्ती बिंदु से दिखाई न दे। इस स्थिति में जरीब मापन की विधि निम्न है।

विधि जरीब रेखा के बिंदु A से अनुकूल दिशा में टीले के पार्श्व से एक रेखा AB1 निकाले। बिंदु B1 से जरीब रेखा का मुख्य बिंदु B दिखाई देना चाहिए। बिंदु B1 से एक लम्ब B1B निकाले। इस प्रकार रेखा AB1 पर दो उपयुक्त बिंदु M1 व N1 लेकर उनसे भी लम्ब निकाले 

अब AM 1, AN1,AB1 तथा BB1 की दूरी नाप ले लम्ब MM1 व NN1 की दूरी निम्न प्रकार ज्ञात करे ।

             M1M= (AM1xBB1)/AB1 

              N1N=(AN1xB1B)/AB1 



ये दूरी लम्बो पर काट ले। बिंदु M व N जरीब रेखा AB पर स्थित होंगे। M व N को मिलाकर आरेखन कार्य को आगे बढ़ाए।

जब जरीब रेखा पर कोई झील/ तालाब आ जाये 

जब जरीब रेखा पर कोई झील/ तालाब आ जाये  तो ऐसी बाधा पर जरीब मापन की निम्न विधियां हैं।

(a) बिंदु A व B पर जो झील के किनारे पर है, आरेखन दण्ड गाड़ दे।

A per AC तथा B पर BD लम्ब निकाले ।

AC= BD बनायें।

अब CD दूरी नाप लें।

अत: AB= CD 




(b) बिंदु A से लम्ब AC निकालें। C को B से मिलाये। AC तथा CB को मापे 

अत: AB=√(BC^2-AC^2) 






(c) किसी उपयुक्त बिंदु C से प्रकाशिय गुनिया की सहायता से AB पर दो रेखाये डाले ताकि  ∠ACB = 90° हो।

AC व BC को मापे 

अत: AB = √(AC^2+BC^2) 

(d) बिंदु A पर सीधी रेखा CAD बनाएं AC,AD,BC तथा BD को माप ले।




अत:

AB=√[{(BC^2xAD)+(BD^2xAC)}/CD -(ACxAD)]


(e) झील के बाहर कोई उपयुक्त बिंदु E ले।AE का आरेखन करे और इसे D तक बढ़ाए ताकि AE = DE 

इसी प्रकार BE का आरेखन करे और C तक बढ़ाए ताकि BE=CE 

अब CD को नाप ले, जोकि AB के बराबर होगी।



(f ) झील के बाहर कोई उपयुक्त बिंदु C ले लें।अब AC और BC को मापे।अब AC के मध्य बिंदु D तथा BC के मध्य E ले ,अर्थात CD= AD 

तथा CE= BE 

DE को नाप ले 

अब AB=2DE 



जब जरीब रेखा पर कोई नदी पड़ती हो 

इस बाधा के लिए जरीब मापन की निम्न विधियां है।

(1) नदी के दोनो किनारों पर जरीब रेखा पर दण्ड A तथा B गाड़ दे। 

AB की सीध में बिंदु C ले BD तथा CE के समान्तर लम्ब खींचे ।इनकी लम्बाई ऐसी रखे कि A,D व E एक सीध रेखा  में हो।बिंदु D से CE रेखा पर एक लम्ब DF डाले।BC,BD तथा CE को नाप ले 

∆ABD व ∆DFE समरूपी त्रिभुजे होगी।

अत: AB/BD =DF/CE-CF 

अथवा AB = BDxDF/CE-CF 

अत: AB = BDXBC/CE-BD 

यहां CE= CF- FE 

अथवा CE-BD=FE 



जब जरीब रेखा पर कोई भवन आ जाए 

जब जरीब रेखा पर कोई भवन आ जाता है।तो न तो इसके आर पार देखा जा सकता है। और न नापा जा सकता है।अर्थात न आरेखन हो सकता है न ही जरीब मापन इस अवस्था में निम्न उपाय किए जाते है।

विधि जरीब रेखा पर बाधा से हट कर कोई दो बिंदु C व A लेकर उनसे समान लम्बाई के दो लम्ब निकाले ,अर्थात CE = AF ले ।

अब EF को मिलाते हुए रेखा को बाधा से आगे ,H तक बढ़ाए।बिंदु G व H से लम्ब निकाले और इन लम्ब से CE व AF के बराबर काट ले अर्थात 

CE=AF=BG=DH 




फीता संशोधन 


जब हम जरीब द्वारा दूरी को नापते है तो नापते समय कुछ त्रुटिया आ जाती है।इन्ही त्रुटीयो को समाप्त करने के लिए फीता संशोधन किया जाता है। 

चूंकि अधिकतक माप फीते से ही लिया जाता है।इसलिए जरीब संशोधन को फीता संशोधन कहते है।

(1) मानक फीता संशोधन 

(2) ढाल संशोधन 

(3) खिंचाव या तनन संशोधन 

(4) झोल संशोधन 

(5) ताप संशोधन 

(1) मानक फीता संशोधन 

जब फीता की वास्तविक लम्बाई उसकी निर्दिष्ट लम्बाई से कम या अधिक होती है।तो उस अवस्था में मानक फीता संशोधन 

  Cst= CxL/l 

जहां C= फीते की लम्बाई में त्रुटि 

          = वास्तविक लम्बाई - निर्दिष्ट लम्बाई 

       L= रेखा की नापी गई दूरी 

     l= फीते की निर्दिष्ट लम्बाई 

(2) ढाल संशोधन 

ढाल पर नापी गई दूरी उसके क्षैतिज दूरी से अधिक होती है इसी कारण इसमें ऋणात्मक संशोधन करना होता है।

इसकी दो अवस्थाये है।

(i) जब रेखा के सिरों पर ऊर्ध अंतर h तथा ढाल दूरी L हो तब 

Cs = h^2/ 2L 

(ii) यदि ढाल का कोण  θ  है तब 

Cs= L-Lcosθ 

    =L(1-cosθ


(3) खिंचाव या तनन संशोधन Cp 

यदि फीते पर अधिक बल लगाकर उसको खींचा जाए तो उसकी लम्बाई में कुछ वृद्धि हो जाती है।चूंकि लम्बाई में वृद्धि हुई है तो ये त्रुटि ऋणात्मक त्रुटि कहलाएगी और संशोधन धनात्मक होगा ।

अत: Cp= (P-P०)L/AxE 

जहां Cp= खिंचाव संशोधन है।

        P= मापन के। समय लगाया गया वास्तिविक बल है।(किलोग्राम)

       P०= मानक खिंचाव बल (किलोग्राम) 

         A= फीते का काट क्षेत्रफल (वर्ग सेमी)

         E= फीते का प्रत्यास्थता मापांक (किग्रा/सेमी 2) 

        L= नापी गई दूरी ( मीटर ) 


(4) झोल संशोधन 

ऐसा संशोधन तब करना पड़ता है जब फीता अपने ही भार के कारण झोल के शक्ल ले लेता है ।जब फीते को जमीन पर रख कर उसके किनारों से पकड़ के खींचा जाता है।तो इस दशा में मापी गई दूरी सत्य लम्बाई से अधिक होती है। जिसके कारण इसमें धनात्मक त्रुटि आती है अत: इसके लिए  ऋणात्मक संशोधन करना पड़ता है।

झोल संशोधन Csg = W^2L/ 24P2 

  जहां Csg= झोल संशोधन (मीटर में ) 

         W= प्रति पाट में फीते का स्वयं। का  भार(किग्रा०)   

          L= नापी गई लम्बाई (मी०)

          P= मापन के समय खिंचाव बल (किग्रा०) 

(5) ताप संशोधन 

फीते की सत्य लम्बाई एक निर्धारित तापमान पर ही सही होती  है। फीते का आशंकन भी इसी मानक तापमान पर किया जाता है।कार्य करते समय यदि क्षेत्र  का तापमान अलग है।तो फीते द्वारा नापी गई माप में त्रुटि आ जाती है।जिसके लिए ताप संशोधन किया जाता है।

Ct= L α(Tm-T०) 

Ct= ताप संशोधन 

L= नापी गई दूरी 

 α= फीते का तापीय प्रसार गुणाक 

Tm= कार्य के समय क्षेत्र का औसत ताप 

To= फीते का मानक ताप 

नोट यदि Tm>To तब धनात्मक संशोधन 

और यदि Tm<To तब  ऋणात्मक संशोधन 

Important for competitive exam 

दोषपूर्ण  जरीब के कारण नाप में त्रुटि तथा उसका संशोधन 

दोषपूर्ण  जरीब के कारण नाप में जो त्रुटि होती हैं उसका संशोधन निम्न प्रकार से किया जाता है।

(1) लम्बाई में संशोधन 

माना L= फीते/ जरीब की मानक लम्बाई है।

        L1= जरीब/ फीते की त्रुटिपूर्ण लम्बाई है।

         D= रेखा की शुद्ध दूरी 

         D1= रेखा की त्रुटि पूर्ण दूरी 

अत: 

जरीब की मानक लम्बाई x रेखा की शुद्ध दूरी = जरीब की त्रुटिपूर्ण लम्बाई x रेखा की त्रुटिपूर्ण दूरी 

अर्थात LxD= L1 xD1 

          L/L1= D1/D 

(2) क्षेत्रफल में संशोधन 

माना A= क्षेत्र का शुद्ध क्षेत्रफल 

      A1= क्षेत्र की त्रुटिपूर्ण क्षेत्रफल   

अत: 

(जरीब की मानक लम्बाई)^2x शुद्ध क्षेत्रफल= (जरीब की त्रुटिपूर्ण लम्बाई)^2x त्रुटिपूर्ण क्षेत्रफल 

(L)^2xA=(L1)^2xA1 

(L/L1)^2=A1/A 



Permissible limits of error in chaining for measurement on rough or hilly ground is - 

1:250 





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