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Part 4 Failure of rivet joint,रिवेट जोड़ो की विफलता

 रिवेट जोड़ो की विफलता 

रिवेट जोड़ की विफलता  तीन प्रकार से हो सकती है।

1 तनन विफलता 

2 अपरुपण् विफलता 

3 धारण विफलता 

(1) तनन विफलता (Tensile failure)

तनन में विफलता प्लेट के फटने के कारण होती है।

जब प्लेट पर तनन बल प्लेट की क्षमता से अधिक लगेगा तो प्लेट रिवेटो के बीच से फट जाएगी और जोड़ टूट जायेगा। इस प्रकार की विफलता को तनन विफलता कहते है। 

नोट जब किसी प्लेट को बाहर की तरफ तनन बल से खींचा जाता है।तो पहले प्लेट उस बल का विरोध  करती है। परन्तु प्लेट की क्षमता से अधिक बल लगाने पर प्लेट फटने लगने है।

प्लेट वहा से सबसे पहले फटती है जहा पर जो सबसे अधिक कमजोर होती है। चुंकि प्लेट में रिवेट लगाते समय प्लेट में छिद्र किया जाता है ।जिससे छिद्र की लाइन में प्लेट की धातु कम हो जाती हैं । और प्लेट रिवेट के बीच से आसानी से फट जाती है। इसी कारण जब प्लेट के फटने के स्थान की लंबाई निकालते है तो उसमे से प्लेट के होल को घटा देते है अर्थात (p -d) जैसा कि नीचे दिखाया गया है।

माना प्लेट द्वारा वहन किया जाने वाला अधिकतम बल Pt हैं ।

तब 

Pt =( प्लेट का BC लम्बाई पर काट क्षेत्रफल)x(अनुज्ञेय तनन प्रतिबल) 

Pt=(p-d).t.ft

जहां Pt = plate पर लगने वाला तनन बल है।

p = पिच की लंबाई mm  

d = रीवेट का सकल व्यास mm 

t = मुख्य प्लेट की मोटाई mm 

ft =प्लेटो में अनुज्ञेय तनन प्रतिबल


इसे जोड़ का तनन सामर्थ्य कहते है। ये रिवेट जोड़ के द्वारा पिच लम्बाई के लिए वहन किया जाने वाला अधिकतम बल होगा 

अत: तनन सामर्थ्य 

Pt=(p-d).t.ft.(N) 




(2)अपरुपण् विफलता (कर्तन विफलता) 

यदि जोड़ पर आ रहा बल रिवेट की अपरुपण् क्षमता से अधिक है तो रिवेट कट जायेगा तथा प्लेट अलग हो जाएगी जिसके कारण जोड़ विफल हो जायेगा ।इस विफलता को अपरुपण् विफलता कहते है।

माना विफलता से पूर्व रीवेट द्वारा वहन किया जाने वाला अधिकतम बल Ps हो तब।

Ps = (रिवेट का क्षेत्रफल)x(अनुज्ञेय अपरुपण् प्रतिबल) 

Ps= (π/4).d^2xfs.(N) 

fs=अनुज्ञेय अपरुपण् प्रतिबल 




नोट अपरुपण् या कर्तन दो प्लेन के आपस में सरकने पर उत्पन्न होते है। जब हम दो प्लेटो को एक दूसरे के ऊपर रख कर rivet से जोड़ते है और उसपर बल लगाकर खींचते है ,तब दोनो प्लेट एक दूसरे के विपरीत दिशा में खींचती है जिससे उनके बीच कर्तन पैदा होता है। इस खिंचाव में सारा बल रिवेट पर आ जाता है। और rivet के फेल होने से स्ट्रक्चर फेल हो जाता है।इसे ही अपरुपण्  विफलता कहतेे हैै। 

(3) धारण विफलता 

जोड़ पर आने वाले बल के कारण रिवेट व प्लेट के बीच धारण प्रतिबल उत्पन्न होगा। इस उत्पन्न धारण प्रतिबल का मान निर्धारित सीमा से अधिक होने पर प्लेट या रिवेट टूटेगा 

यदि प्लेट टूटेगी तो रिवेट छिद्र बड़ा हो जायेगा जिससे जोड़ विफल होगा या रिवेट टूटेगा जिससे भी जोड़ विफल हो जायेगा।

इस विफलता को धारण विफलता कहा जाता है।

यदि विफलता से पहले जोड़ द्वारा वहन किया जाने वाला अधिकतम बल Pb हो तब 

Pb= धारण क्षेत्रफल x अनुज्ञेय धारण प्रतिबल 

Pb= (dxt)fb   

Or 

Pb= (dx2t1).fb(N) 

जहां t= मुख्य प्लेट की मोटाई है।

     t1= एक कवर प्लेट की मोटाई है। 

नोट कवर प्लेटो की कुल मोटाई 2t1 तथा मुख्य प्लेट की मोटाई t मे से जो कम होगा उसे ही लेंगे

जोड़ की सामर्थ्य 

जोड़ की सामर्थ्य निकालने के लिए उपरुक्त के अनुसार Pt ,Pb, और Ps का मान निकलेंगे और जो भी इन तीनों में सबसे कम होगा वही जोड़ की वास्तविक सामर्थ्य कहलाएगा।

अर्थात 

जोड़ की सामर्थ्य= Pt या Ps या Pb जो भी कम हो।



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इस्पात भाग 1......... 

इस्पात भाग 2........ 

इस्पात भाग 3 ...... 

इस्पात भाग 5....….. 

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