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Part 3 संरचनात्मक इस्पातीय जोड़, रिवेट जोड़

 रिवेट जोड़ (Rivet joint)

Rivet स्टील स्ट्रक्चर के उपांगो को जोड़ने का एक पुराना तरीका जिसे अब प्रयोग में नही किया जाता है। परन्तु पुरानी संरचना की मरम्मत तथा देखभाल के लिए इसे पढ़ना जरूरी हो जाता है।

रिवेट इस्पात की एक गोल कील होती है।जिसका एक सिरा  मोटा बनाया जाता है,जिसे शीर्ष कहा जाता है।और बाकी के भाग को शैंक कहा जाता है। 



रिवेटो का वर्गीकरण classification of rivets 

(1) लगाए जाने वाली विधि की अनुसार 

(2) लगाने के स्थान व शक्ति के प्रयोग के अनुसार 

(1) लगाए जाने वाली विधि की अनुसार 

(a) गर्म करके लगाए जाने वाले रिवेट.

(b) ठंडी अवस्था में लगाए जाने वाले रिवेट.

(2) लगाने के स्थान व शक्ति के प्रयोग के अनुसार 

(a) हस्त चालित रिवेट 

(b) शक्ति चालित रिवेट 

(c) शक्ति चालित शॉप रीवेट 

रिवेट जोड़ो के प्रकार types of joints

(1) लैप जोड़ 

(2) बट या टक्करी जोड़ 

(1) लैप जोड़ Lap joint

इसमें दो प्लेटो को एक दूसरे के ऊपर रखकर रिवेट द्वारा जोड़ा जाता है।



ये निम्न प्रकार का होता है 

(a)एकल रिवेट लैप जोड़ इसके रिवेटो की केवल एक ही लाइन होती है।



(b)दोहरा रिवेट लैप जोड़ इसमें रिवेटो की दो लाइन होती है।



(c)तिहरा लैप जोड़ इसमें रिवेटो की तीन पंक्तियां होती है 



(d)बहु रिवेट लैप जोड़ इसमें रिवेटो की तीन से अधिक पंक्तियां होती है।


बट जोड़ Butt joint

इसमें दो प्लेटो के सिरे को आपस में सटा कर उसके ऊपर कवर प्लेट लगाते है और उसमे रीवेट लगाकर जोड़ बनाते है।

कवर प्लेटो के अनुसार ये दो प्रकार का होता है।

(1) एकल कवर बट ज्वाइंट single cover butt joint

(2) दोहरा  कवर बट ज्वाइंट double cover butt joint 

1-एकल कवर बट जोड़ Single cover butt joint 

इसमें केवल ऊपर के तरफ एक कवर प्लेट लगी होती है।इसे एकल कवर बट ज्वाइंट कहते है।


दोहरा बट जोड़ Double cover butt joint 

इसमें ऊपर और नीचे दोनो साइड कवर प्लेट लगी होती है।


जोड़ो में रिवेटो की व्यवस्था 

(1) श्रृंखला रिवेट पद्धति । 

(2) डायमंड रीवेट पद्धति

(3)विषम रिवेट पद्धति


(1) श्रृंखला रिवेट पद्धति 

जब रिवेट को इस प्रकार लगाया जाता है। की एक रिवेट के सामने दूसरा रिवेट आए तो इस प्रकार के समायोजन को श्रृंखला रिवेट पद्धति कहते है। 


(2) डायमंड रीवेट पद्धति 

जब रिवेट को प्लेट पर घटते या बढ़ते हुए क्रम में लगाया जाता है तो इसे डायमंड रिवेटिंग कहते है। 


(3)विषम रिवेट पद्धति 

विषम रिवटिंग में रिवेट एक लाइन में नहीं होते है। इस प्रकार के रिवेटिंग को विषम रिवटिंग कहते है। 



महत्वपूर्ण परिभाषाएं 

(1)  रिवेट का सामान्य व्यास ( Nominal diameter of rivet)

ये ठंडी अवस्था में रिवेट का व्यास होता है। इसे d से प्रदर्शित करते है। 

(2) रिवेट का सकल व्यास (Gross diameter of rivet)

ये व्यास जोड़ में लगे हुए रिवेट का व्यास होता है।ये रिवेट छिद्र के व्यास के बराबर होता है। इसे प्रभावी व्यास भी कहते है।इसे D से प्रदर्शित करते है।

(3) गेज दूरी (Gauge distance)

ये दो निकटतम रिवेटो के केन्द्र से केंद्र तक की दूरी होती है जिसे बल की दिशा के लम्बवत मापा जाता है। इसे g से प्रदर्शित करते है।

(4) किनारा दूरी (End distance)

रिवेट जोड़ में प्लेट के किनारे से निकटतम रिवेट छिद्र के केंद्र के बीच लम्बवत दूरी को किनारा दूरी कहा जाता है। इसे e से प्रदर्शित करते है।

(5) पिच (pitch)

किसी दो निकटतम रिवेट की केंद्र से केंद्र तक की दूरी को पिच कहते है।ये दूरी लगने वाले बल की दिशा के समान्तर दिशा में मापी जाती है। इसे p से प्रदर्शित करते है।




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                   इस्पात भाग 1 (इस्पतीय खण्ड).........

                 इस्पात भाग 2 .................

                इस्पात भाग5 rivet जोड़ो का अभिकल्पन...

                इस्पात भाग 4 ................... 

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