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Part 6 इस्पातीय जोड़ , वेल्डित जोड़

 वेल्डित जोड़ (Welded joints) 

वेल्डन दो स्टील के अवयवों को जोड़ने की ऐसी विधि है।जिसने अवयवों के किनारों को गर्म करने पिघलाया जाता हैं। और फिर इन्हें आपस में सटा कर जोड़ दिया जाता है।ठंडा होने पर ये अवयव आपस में जोड़ जाते है और एक संयुक्त अवयव के रूप में कार्य करते है। वेल्डिंग द्वारा जोड़े गए अवयव अधिक मजबूत होते है।और इनके कार्य करने की क्षमता भी अधिक होती है।अन्य जोड़ के अपेक्षा इनके विफल होने की संभावना भी कम होती है।

वेल्डिंग के लिए निम्न विधियां अपनाई जाती है। 

(i) मेटल आर्क वेल्डिंग 

(ii) गैस वेल्डिंग  

वेल्डेड जोड़ो के प्रकार 

वेल्ड जोड़ को दो भागों में बांटा गया है।

फिलेट वेल्ड 

बट वेल्ड 

फिलेट वेल्ड 

इस प्रकार के वेल्ड के दो प्लेटो को एक दूसरे के उपर रख कर वेल्डिंग की जाती है।इसी कारण इसे लैप वेल्ड भी कहते है। इसे निम्न भागो में वर्गीकृत किया जाता है।

i) साइड फिलेट वेल्ड 

जब दो प्लेटो पर वेल्डिंग इस प्रकार की जाती है।की उस पर लगने वाला बल वेल्ड की अक्ष के समांतर हो तो इस प्रकार की वेल्डिंग को साइड फिलेट वेल्ड कहते है। 

ii) सिरा फिलेट वेल्ड 

जब दो प्लेटो पर  वेल्डिंग इस प्रकार की जाए की वेल्ड की दिशा लगने वाले बल के लम्बवत हो तो ऐसी वेल्डिंग को सिरा फिलेट वेल्ड कहते है। 

iii)तिर्यक फिलेट वेल्ड 

ऐसा फिलेट वेल्ड जिसकी अक्ष पर लगाए गए भार अक्ष के नत हो उसे तिर्यक फिलेट वेल्ड कहते है। 

निर्माण के तरीके के अनुसार फिलेट वेल्ड  निम्न प्रकार के होते है।

a) अवतल फिलेट वेल्ड  इसमें वेल्ड के आकार अवतल होता है।




b) उत्तल फिलेट वेल्ड  इसमें वेल्ड के आकार उत्तल होता है।



c) पगड़ी फिलेट वेल्ड  इसमें वेल्ड के सामने का आकार सपाट  होता है। 


फिलेट वेल्ड के परिमाप 

i) टांग की लम्बाई (leg length) ये संगलन क्षेत्र में बने त्रिभुज 

की दो समान भुजाओं में से किसी एक के बराबर होती है।

ii) वेल्ड का माप(Size of weld)  वेल्ड का माप उसकी न्यूनतम टांग की लम्बाई के बराबर लिया जाता है। इसे S से प्रर्दशित करते है। 

iii) कंठ मोटाई (Throat thickness) ये त्रिभुज के नोको को मिलाने वाली रेखा से वेल्ड के जड़ तक की लम्बवत दूरी होती है।

फिलेट वेल्ड का न्यूनतम माप 

मोटे भाग की मोटाई                                न्यूनतम माप 

10 mm तक                                        3.0 mm 

10 mm से अधिक 20 mm से कम         5.0 mm 

20 mm से अधिक तथा 32 mm तक      6.0 mm 

32 mm से अधिक तथा 50 mm तक      10 mm 


फिलेट वेल्ड का अधिकतम माप 

i) वर्गाकार किनारे के लिये (For sqaure edge)

              S= प्लेट की मोटाई - 1.5mm

ii) गोलाकार किनारे के लिये(For rounded edge) 

              S= (3/4). प्लेट की मोटाई 

प्रभावी कंठ की मोटाई(Effective throat thickness)

प्रभावी कंठ की मोटाई निम्न प्रकार निकाला जाता है।

              t=k.S 

              t= प्रभावी कंठ की मोटाई 

              k= स्थिरांक 

              S= वेल्ड की माप 

k का मान 0.70 लिया जाता है। क्योंकि सामान्यत: सतहो के बीच 60°- 90° तक होता है।और 60°- 90° तक के कोण के लिए k का मान 0.70 होता है।

फिलेट वेल्ड की प्रभावी लम्बाई ( Effective length of fillet weld)

प्रभावी लम्बाई = वास्तविक लम्बाई - 2x वेल्ड का माप 

फिलेट वेल्ड की सामर्थ्य ( Strength of fillet weld) 

वेल्ड की सामर्थ्य= अपरूपण क्षेत्रफल x अनुज्ञेय अपरूपण                                                                          प्रतिबल

   अपरूपण क्षेत्रफल  = प्रभावी कंठ मोटाई x प्रभावी लम्बाई                                = txL 

       हम जानते है कि t= kS 

        वेल्ड की सामर्थ्य= txLx fs

      fs=    अनुज्ञेय अपरूपण प्रतिबल                                       fs= 110 N/mm2       



बट वेल्ड Butt weld 

जब दो प्लेटो के किनारों को इस प्रकार जोड़ा जाता है की दोनो प्लेट एक ही समतल में रहें, अर्थात ऐसे वेल्ड में प्लेट का एक सिरा दूसरी प्लेट के सिरे से सटा होता है।ऐसे वेल्ड में प्लेट के ऊपर चढ़ाव नही होते है।इसे खांचा वेल्ड भी कहते है। 



बट वेल्ड के प्रकार ( type of Butt welds)   

1) एकल V बट वेल्ड 


2) दोहरा V बट वेल्ड 



3) एकल U बट वेल्ड 



4) दोहरा U वेल्ड 


5) वर्गाकार बट वेल्ड 



6) एकल बेवेल बट वेल्ड 


7) दोहरा बेवेल बट वेल्ड 



       वेल्डिंग के  दोष              

सतही दोष   

जो दोष सतह पर होते है,उन्हें सतही दोष कहते है।ये निम्न प्रकार के होते है।

i) दरारें   वेल्ड में जब किसी कारण से दरारें पड़ जाती है।तो वेल्ड मे दोष उत्पन्न हो जाता है।ये आंतरिक और बाहरी दोनो प्रकार की होती है।

ii) कमतर कटाई जब वेल्ड मेटल ग्रूव में पूरी तरह भर नहीं पाता है।तो ये दोष उत्पन्न होता है।

iii) सम्पर्क संरध्रता वेल्ड में ये दोष गैस के रन्ध्रो की उपस्थिति के कारण होता है।इससे वेल्ड की सामर्थ्य कम हो जाती है।

बट वेल्ड के  परिमाप 

(1) प्रभावी लम्बाई  बट वेल्ड की प्रभावी लम्बाई वास्तविक लम्बाई के समान ली जाती है।          

(2)   प्रभावी कंठ की मोटाई 

i) यदि पूरक धातु पूरी गहराई तक पहुंच गई हो तो प्रभावी कंठ मोटाई प्लेट की मोटाई के बराबर li जायेगी।

ii) यदि पूरक धातु पूरी गहराई तक नहीं पहुंचती है,तब प्रभावी कंठ मोटाई प्लेट की मोटाई के 5/8 गुना ली जाएगी।

नोट   यदि जुड़ी हुई प्लेटे अलग अलग मोटाई की है,तो प्रभावी कंठ मोटाई पतली प्लेट की मोटाई के आधार पर निकली जाएगी। 

वेल्ड जोड़ो का अभिकल्पन(Design of Welded joints)

फिलेट वेल्ड का अभिकल्पन( Design of filet Weld 

फिलेट वेल्ड के अभिकल्पन में निम्न नियम के अनुसार परिमाप ज्ञात किया जाता है। 

1) फिलेट वेल्ड की अधिकतम माप 

a) वर्गाकार किनारे के लिये 

S= प्लेट की मोटाई - 1.5 mm 

b) गोलाकार किनारे के लियेे

S=3/4प्लेट की मोटाई  

2) लैप (Lap) 

लैप में एक प्लेट दूसरे के ऊपर रख कर वेल्ड की जाती है।जिसे चढाव भी कहते है। चढ़ाव की न्यूनतम लम्बाई पतली प्लेट की मोटाई की पांच गुनी होनी चाहिए। 

(3) अनुदैर्ध्य पार्श्व फिलेट वेल्ड 

i) अनुदैर्ध्य पार्श्व फिलेट वेल्ड की लम्बाई L इन दोनो के बीच लम्बवत दूरी d से कम नहीं होना चाहिए।


ii) अनुदैर्ध्य पार्श्व फिलेट वेल्ड के बीच लम्बवत दूरी d पतली प्लेट की मोटाई t1 के 16 गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए।

iii) सिरो पर समाप्त होने वाले वेल्ड की न्यूनतम लम्बाई L1 वेल्ड माप S के दो गुना से कम नहीं होनी चाहिए। 

(4) प्रभावी लम्बाई  

प्रभावी लम्बाई = वास्तविक लम्बाई - 2x वेल्ड की माप 

फिलेट वेल्ड की अभिकल्पन प्रक्रिया 

1 वेल्ड की माप S प्लेटो की मोटाई के आधार पर निकले 

2 यदि भार न दिया गया हो तो भार की गणना सदस्य के क्षेत्रफल से अनुज्ञेय प्रतिबल को गुणा करके ज्ञात कर ले।

3 भार स्थानांतरित करने के लिए वेल्ड की लम्बाई ज्ञात करे।इसे कार्यकारी भार में वेल्ड सामर्थ्य से भाग देकर ज्ञात करे।

4 वेल्ड की आवश्यक लम्बाई को अनुदैर्ध्य वेल्ड से संतुलित करे।

5 वेल्ड की माप के दुगना 2s के बराबर प्रत्येक सिरे पर लौटनी (end return) दे।

बट वेल्ड का अभिकल्पन 

(1) यदि पूरक धातु पूरी गहराई तक गई है तो प्रभावी कंठ मोटाई पतली प्लेट के बराबर ली जाएगी।अन्यथा एकल बट वेल्ड के लिए मोटाई 5/8t ली जाएगी ।

(2) अनुज्ञेय प्रतिबल के आधार पर निर्धारित परिमाप के वेल्ड की प्रति इकाई लम्बाई सामर्थ्य ज्ञात की जाएगी।

(3) प्रति मिमी० सामर्थ्य  के आधार पर जोड़ की पूरी सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए वेल्ड की आवश्यक लम्बाई ज्ञात की जायेगी।

(4) इसके बाद विशिष्टयो के अनुसार वेल्ड की वास्तविक लम्बाइयां निर्धारित की जायेगी। 

रिवेटित और वेल्डेड जोड़ की तुलना 

(1) वेल्ड जोड़ सस्ता होता है। क्योंकि इसमें जोड़ने के लिए प्लेट और रीवेट सामग्री की आवश्कता नहीं पड़ती है।

(2) वेल्ड जोड़ में श्रमिको की कम आवश्कता पड़ती है। क्योंकि वेल्ड एक आदमी भी कर सकता है। परन्तु रिवेट में कम से कम दो आदमियों की आवश्कता पड़ती है।

(3) वेल्ड जोड़ अधिक दृढ़ होता है।

(4) इसमें नलिकानुमा खण्ड को जोड़ना आसान होता है।

(5) दो धातु के टुकड़े को फ्यूजन से जोड़ने पर एक सतत संरचना बन जाती है।जबकि रिवेट जोड़ में ऐसा सम्भव नहीं होता है।

(6) रिवेटिंग की अपेक्षा वेल्डिंग प्रक्रिया तेजी से होती है।

(7) वेल्ड का निरीक्षण कठिन और खर्चीला है।जबकि हथौड़े की थाप से रीवेट का निरीक्षण आसानी से किया जा सकता है।

(8) वेल्ड एक शांत प्रक्रिया है जबकि रिवेट में अत्यधिक शोर होता है।

(9) वेल्ड की दक्षता रिवेट से अधिक होती है।

(10) रिवेट जोड़ की अपेक्षा वेल्ड में होशियार व्यक्ति की आवश्यकता होती है।


प्लग एवं स्लॉट वेल्ड 

(1) प्लग एवं स्लॉट वेल्ड  का प्रयोग कर्तन स्थानांतरण के लिए भी करते है।

(2) प्लग एवं स्लॉट वेल्ड  का क्रांतिक खण्ड जुड़े अंगों के कटे सतह के बीच होता है।

(3) प्लग एवं स्लॉट वेल्ड  का इस्तेमाल तनन संचार के लिए नही करना चाहिए, अर्थात जो बाल काटे तल के लम्बवत हो, वहां नहीं करना चाहिए।


प्लग एवं स्लॉट वेल्ड को विशिष्टिया 

(1) चौड़ाई या व्यास  ≥ 3t परन्तु साथ साथ 25 mm से कम नहीं होना चाहिए।

(2) स्लॉट छिद्र के किनारे की त्रिज्या  ≥ 1.5t  परन्तु 12 mm से कम नहीं 

(3) छिद्र के बीच की शुद्ध दूरी ≥ 2t और ≥ 25 mm होनी चाहिए। 


प्रश्न 1 - एक कार्यशाला में दो प्लेट जिनकी माप 180mm x 18mm है, प्रत्येक को दोहरे U ग्रूव वेल्ड से जोड़ा जाना है।यदि इस पर 13kN-m का आघूर्ण लग रहा हो तो जोड़ की बंकन सामर्थ्य ज्ञात करे।जोड़ की सार्थकता बताए यदि जोड़ पर कर्तन बल 200kN है। वेल्ड के अनुमेय तनन एव कर्तन प्रतिबलों के मान क्रमश: 150N/mm2 और 102.5N/mm2 मान ले।

हल  चरण 1

           b= 180mm 

           tp= 18mm 

           M=13kN-m 

            V= 2000kN 

वेल्ड की कंठ मोटाई= पतले प्लेट की मोटाई 

            tt=tp=18mm 

अनुमेय प्रतिबल= 150N/mm2 

चरण 2 

ग्रूव वेल्ड का प्रभावी आकृति मापांक 

             Ze=(18x180^2)/6 

                 = 97200 mm3 

अभिकल्पन बंकन सामर्थ्य 

             Fdw=(Ze) x(σat) 

                    = 97200x150x14.58 kN-mm 

                    =13kNm

चरण 3 

अभिकल्प कर्तन सामर्थ्य Vdw=Lw x tt x τcf 

                            200000=Lw x 18 x102.5 

                            Lw=108.4mm <180 mm (O.K)

                   


Read more 

इस्पात भाग 1...... 

इस्पात भाग 2..... 

इस्पात भाग 3..... 

इस्पात भाग 4.....

इस्पात भाग 5.....

Comments

  1. Present sir
    Ashish Kumar Pandey

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  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. Thanks sir,
    I have one doubt ,What is "Ze"?

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  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. Vichitra Mani Singh
    Present Sir

    ReplyDelete

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