भारत पर सर्वप्रथम अरबों ने आक्रमण किया
मोहम्मद बिन कासिम
अरबों ने मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में भारत पर पहला सफल आक्रमण किया। उसने सबसे पहले सिंध पर 712 ई में विजय प्राप्त की थी।
भारत पर आक्रमण करने का मुख्य उद्देश्य भारत की अकूत धन दौलत लूटना और साथ साथ इस्लाम धर्म का प्रचार करना भी था ।
मोहम्मद बिन कासिम के महमूद गजनी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया। पहला आक्रमण 1000 ई में किया।
महमूद गजनी
नोट - 932 ई में अलप्तगीन नमक एक तर्क सरदार ने गजनी राज्य की नीव रखी जिसकी राजधानी भी गजनी थी अलप्तगीन का गुलाम सुबुक्तगीन था जो उसका दामाद भी था जो 977ई में गजनी की गद्दी पर बैठा ।इसका एक पुत्र हुआ जिसका नाम महमूद गजनी रखा गया ।
अपने पिता के शासन काल में महमूद गजनी खुरासान का शासक था महमूद गजनी जब गद्दी पर बैठा तो उसकी आयु मात्र 27 वर्ष थी।
महमूद गजनी ने भारत पर आक्रमण धन लूटने के उद्देश्य से ही करी ।इसके अतिरिक्त वह स्वयं को मूर्ति भंजक भी कहता था ।इसी कारण उसने मंदिरो से धन लूटने के बाद उसे तोड़ा भी।
महमूद गजनी ने भारत प्रथम आक्रमण करके पेशावर के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया ।
महमूद गजनी से 1001ई में पुन: आक्रमण किया इस बार उसने जयपाल के विरुद्ध आक्रमण किया और जयपाल को हरा दिया।
महमूद गजनी का 1008 ई में नगरकोट के विरुद्ध हमले में मूर्तिवाद के विरुद्ध पहली महत्वपूर्ण जीत बताई जाती है।
इसका सबसे चर्चित आक्रमण 1025 ई में सोमनाथ मंदिर जो सौराष्ट्र में है ।उसपर हुआ था ।इस मंदिर की लूट मे उसे करीब 20 लाख दीनार की संपत्ति हाथ लगी। महमूद गजनी का अंतिम आक्रमण 1027 ई में जाटों के विरुद्ध था।
सर्व प्रथम सुल्तान की उपाधि धारण की ।इसकी मृत्यु 1030ई में हो गई।
मुहम्मद गौरी
मुहम्मद गौरी 1173 ई में गौर का शासक बना। इसने पहला आक्रमण 1175 ई में मुल्तान के विरुद्ध किया था।
मुहम्मद गौरी का पूरा नाम शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी था।
उसने दूसरा आक्रमण 1178ई में पाटन गुजरात पर किया था ।
यहां का शासक भीम II ने गौरी को बुरी तरह परास्त
मुहम्मद गौरी ने भारत में जितने भी प्रदेश जीते उन सभी पर शासन का भार अपने गुलाम और सेनापतियो को सौंप कर वापस गजनी लौट गया ।
मुहम्मद गौरी के पिता का नाम बहालुद्दीन साम प्रथम था
मुहम्मद गौरी के बारे में ऐसा प्रचलित है की वो एक महत्वाकांशी राजा था। वो हमेशा अधिक पाना चाहता था ।इसी कारण वो भारत में बार बार हमला करता क्योंकि उस समय भारत एक समृद्ध देश था ।
मृत्यु मुहम्मद गौरी की मृत्यु 15 मार्च 1206 में गजनी वापस जाने के दौरान हुई ।
मुहम्मद गौरी का परिचय संक्षेप में।
नाम शहाब-उद-दीन-मुहम्मद गौरी
जन्म 1149, गोर
पिता का नाम बहालुद्दीन साम प्रथम
शासन 1173 से 1202 और 1202 से 1206 तक एकल शासक किया
धर्म इस्लाम
मृत्यृ 15 मार्च 1206
सल्तनत काल
गुलाम वंश
गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था। जो प्रारंभ में मुहम्मद गौरी का गुलाम था ।
कुतुबुद्दीन का जन्म तुर्किस्तान में हुआ था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून 1206 को किया था। कुतुबुद्दीन ऐबक चाहता था की वो भारत में एक स्वतंत्र तुर्की सल्तनत की नींव रखे। इसी कारण उसने गोर के राजा ग्यासुद्दीन महमूद के सामने एक प्रस्ताव भेजा की अगर वो उसे भारत का स्वतंत्र शासक मान ले तो वो इसके बदले उसे सैनिक सहायता देगा। ग्यासुद्दीन के पास उसकी शर्तो को मानने के सिवा कोई और रास्ता नहीं था इसी कारण उसने कुतुबुद्दीन को स्वतंत्र शासक के रूप में मान्यता दे दी।
कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाई गई इमारतें
उत्तर भारत में पहली मस्जिद कुवत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही करवाया था।
इसके अतिरिक्त कुतुबमीनार ,अजमेर का ढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण ऐबक ने करवाया था।
कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्श भी कहा जाता है।
कुतुबुद्दीन के शासन काल में कुतुबमीनार की केवल एक ही मंजिल बन पाई थी ।
कुतुबुद्दीन ऐबक पहला मुस्लिम शासक था वो अपनी और बुद्धिमानी और परिश्रम के बल पर एक साधारण गुलाम से सुल्तान बन गया । वो युद्ध कला में बड़ा दक्ष था।अपने सैनिक गुणों के आधार पर ही वो मुहम्मद गौरी का विश्वास पात्र बन गया था।
इल्तुतमिश
इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इलबरी तुर्क था ,जो कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम और दामाद था। ऐबक की मृत्यु के समय वो बदायू का गवर्नर था।
इल्तुतमिश आरामशाह की हत्या करके 1211ई में दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
इल्तुतमिश ने अपनी राजधानी को लाहौर से बदलकर दिल्ली कर दी।
इल्तुतमिश पहला शासक था जिसने 1229ई में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की।
इल्तुतमिश एक दूरदर्शी सुल्तान था उसने चंगेज खां से बचने के लिए ख्वारिज्म के सम्राट जलालुद्दीन को अपने यहां शरण देने से मना कर दिया था।
इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल 1236 ई में हो गई।
इल्तुतमिश के कार्य
1- कुतुबमीनार के निर्माण को पूरा कराया।
2- शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए ।चांदी का टंका एव तांबा का जीतल।
3- इक्क्ता प्रणाली चलाई।
4- चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया,जिन्हे तुर्कान ए चिहलगानी के नाम से जाना गया।
5- सबसे पहले दिल्ली के अमीरो का दमन किया।
राजिया सुल्तान
इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा, परन्त वो एक अयोग्य शासक था।उसका शासन काल बहुत ही अल्प रहा।जिसके कारण उसके शासन पर उसकी मां शाह तुरकान का पूर्ण नियंत्रण रहा। शाह तुरकान का प्रभाव हद से ज्यादा हो गया था जिससे परेशान होकर तुर्की अमीरों ने उसे गद्दी से हटा कर राजिया सुल्तान को गद्दी पर बैठा दिया।
राजिया सुल्तान प्रथम मुस्लिम महिला थी ,जिसने शासन की बागडोर संभाली।
राजिया सुल्तान पुरुषों की तरह कपडे और टोपी पहन कर दरबार में जाने लगी।
राजिया सुल्तान ने गैर तुर्को को सामंत बनाया, जिससे तुर्की के अमीर उसके विरुद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मोइजुद्दीन बहरामशाह को बैठा दिया
राजिया सुल्तान की शादी अल्तुनिया के साथ हुई।
राजिया की हत्या 13 अक्टूबर ,1240 ई को डाकुओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई।
बलबन
बलबन 1266 ई में ग्यासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था। वह इल्तुतमिश का गुलाम था।
सीरी नामक नया नगर बलबन ने बसाया था।
राजदरबार में और पैबोस की प्रथा की शुरुआत करी।
बलबन ने फारसी रीति रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारम्भ किया।
बलबन ने अपने विरोधियों के खिलाफ लौह और रक्त की नीति अपनाई।
बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो और अमीर हसन रहते थे।
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Nice sir
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