गांधी जी के प्रमुख आंदोलन
1 चंपारण सत्याग्रह 1917
Important point -इस सत्याग्रह ने गाँधी जी का योगदान देख उन्हें
महात्मा गाँधी की उपाधि प्राप्त हुई थी।
कारण - तिनकठिया प्रथा
तीनकठिया खेती अंग्रेज मालिकों द्वारा बिहार के चंपारण जिले के रैयतों (किसानों) पर नील की खेती के लिए जबरन लागू तीन तरीकों मे एक था। खेती का अन्य दो तरीका 'कुरतौली' और 'कुश्की' कहलाता था। तीनकठिया खेती में प्रति बीघा (२० कट्ठा) तीन कट्ठा जोत पर नील की खेती करना अनिवार्य बनाया गया था।
2 खेड़ा सत्याग्रह 1918
बिहार के चम्पारण के बाद 1918 में महात्मा गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुजरात के खेड़ा में सबसे बड़ा किसान आंदोलन चलाया था। चम्पारण के बाद गांधी जी ने खेड़ा में भी किसानों की बदतर हालत को सुधारने का अथक प्रयास किया इस आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी सरदार वल्लभभाई पटेल का राजनीति में आना
3 अहमदाबाद मिल मजदूर 1918
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन- 1918 में, गांधीजी ने अहमदाबाद के कपड़ा श्रमिकों और मिल मालिकों के बीच एक विवाद में हस्तक्षेप किया, अहमदाबाद के कपड़ा श्रमिक मुद्रास्फीति के कारण अपने वेतन में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे।
गांधीजी ने जोर देकर कहा कि कार्यकर्ता अपनी मांगों को मनवाने के लिए हिंसा के बजाय सत्याग्रह का इस्तेमाल करते हुए हड़ताल पर जाएं। मजदूरों की मांग को मजबूत करने के लिए गांधी जी ने स्वयं आमरण अनशन किया।
V. Important point - यह भारत में गांधी जी की पहली भूख हड़ताल थी।
4 खिलाफत आंदोलन 1920
यह आंदोलन सन् 1919 में लखनऊ से शुरू हुआ था।. खिलाफत का उद्देश्य तुर्की में खलीफा पद की पुन: स्थापना को समर्थन देना था।
5 असहयोग आंदोलन 1920
1 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन प्रारंभ हो गया था और दुर्भाग्यवश इसी दिन लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु भी हो गई थी। सितंबर 1920 में कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विशेष अधिवेशन बुलाया गया था।
असहयोग आंदोलन की विशेषताएं
- सहयोग आंदोलन की अनिवार्य विशेषता यह थी कि अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ लड़ने के लिए शुरू में केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था।
- इस आंदोलन ने अपनी रफ़्तार सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को लौटाकर, और सिविल सेवाओं, सेना, पुलिस, अदालतों और विधान परिषदों, स्कूलों, और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके किया गया।.
- देश में विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया और विदेशी कपड़ो की होली जलाई गयी।
- मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास, सी. राजगोपालाचारी और आसफ अली जैसे कई वकीलों ने अपनी प्रैक्टिस छोड़ दी।
- इससे विदेशी कपड़े का आयात 1920 और 1922 के बीच बहुत गिर गया।
जैसे-जैसे यह आंदोलन फैलता गया, लोगों ने सभी आयातित कपड़ों को त्यागना शुरू कर दिया और केवल भारतीय कपड़ो को पहनना शुरू कर दिया, जिससे भारतीय कपड़ा मिलों और हैंडलूमों का उत्पादन बढ़ गया।
6 नमक आंदोलन ( सविनय अवज्ञा आंदोलन ) 1930
दांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह, महात्मा गांधी के नेतृत्व में औपनिवेशिक भारत में अहिंसक सविनय अवज्ञा का एक कार्य था। चौबीस दिवसीय मार्च 12 मार्च 1930 से 5 अप्रैल 1930 तक ब्रिटिश नमक एकाधिकार के खिलाफ कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में चला।
7 भारत छोड़ो आंदोलन 1942
भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था।
Important points
- गांधी जी के आंदोलनों का क्रम
- 1 चंपारण सत्याग्रह 1917
- 2 खेड़ा सत्याग्रह 1918
- 3 अहमदाबाद मिल मजदूर 1918
- 4 खिलाफत आंदोलन 1920
- 5 असहयोग आंदोलन 1920
- 6 नमक आंदोलन ( सविनय अवज्ञा आंदोलन ) 1930
- 7 भारत छोड़ो आंदोलन 1942
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