अनुच्छेद 15 क्या है? What is article 15?
ये अनुच्छेद राज्य द्वारा धर्म जाति लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के निषेध की गारंटी देता है ।
ये भारत में शैक्षिक अवसरों में समानता भी सुनिचित करता है ।
अनुच्छेद 15(1) क्या है
राज्य को किसी भी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म ,नस्ल जाति ,लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव से रोकता है।
अनुच्छेद 15(2) क्या है
> दुकानों ,सार्वजनिक रेस्ट्रो ,होटल और सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों तक पहुंच।
>15(2)(ख): पूर्णत: या अंशत: राज्य निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, के संबंध में किसी भी निर्योग्यता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।
अनुच्छेद 15(3):
इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
अनुच्छेद 15(4):
इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
अनुच्छेद 15(5):
यह 93वें संविधान संशोधन से 2005 में जोड़ा गया। अनुच्छेद 15 सिर्फ सरकारी या सरकार फंडित संस्था पर भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता था, इस कमी को दूर करने के लिए प्राइवेट शैक्षिक संस्था में भी SC,ST आरक्षणित सीट का प्रावधान किया। आरक्षण का सिद्धांत इसी अनुच्छेद 15 से निकला है और इसी पर से क्रीमी लेयर(Creamy Layer) का सिद्धांत भी आया है।
अनुच्छेद 15(6)(क):
खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित वर्गों से भिन्न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी ; और
अनुच्छेद 15(6)(ख):
खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित रोगों से भिन्न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से वहां निवारित नहीं करेगी, जहां तक ऐसे उपबंध, ऐसी शैक्षणिक संस्थाओं में, जिनके अंतर्गत के खंड अनुच्छेद 30 (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं से भिन्न प्राइवेट शैक्षणिक संस्थाएं भी हैं, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता पाने वाली हैं या सहायता न पाने वाली हैं, प्रवेश से संबंधित हैं, जो आरक्षण की दशा में विद्यमान आरक्षणों के अतिरिक्त तथा प्रत्येक प्रवर्ग में कुल स्थानों के अधिकतम दस प्रतिशत के अध्यधीन होंगे।
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