Concrete कंक्रीट
कंक्रीट एक मिश्रण है जो बंधक पदार्थ, मोटा मिलावा, महीन मिलावा और जल के मिश्रण को उचित अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है।
कंक्रीट= बंधक पदार्थ + मोटा मिलाव+ महीन मिलावा+ जल
कंक्रीट के प्रकार
बंधक पदार्थ के आधार पर कंक्रीट निम्न प्रकार की होती है।
1- गारा कंक्रीट
2- चुना कंक्रीट
3- सीमेंट कंक्रीट
1- गारा कंक्रीट
गारा कंक्रीट बनाने के लिए मिट्टी गारे में ईंट की रोड़ी मिलाकर तैयार किया जाता है। गारे में मिट्टी और बालू को अच्छी तरह मिलाकर मिश्रण बनाते है , उसके बाद इसमें ईंट की रोड़ी मिलाकर कंक्रीट बनाते है। ईंट की रोड़ी की माप 40 mm तक रखा जाता है।
अनुपात
इसमें एक भाग मृदा और 2.5 भाग ईंट की रोड़ी रखते है।
इसे 15 cm मोटी परतो में डाली जाती है।और इसकी कुटाई दुरमठ के द्वारा की जाती है।
गारा कंक्रीट का उपयोग
इसकी सामर्थ्य बहुत कम होती है। इसी कारण इसे निम्न श्रेणी के कंक्रीट में रखा गया है। इसका उपयोग अस्थाई निर्माण कार्यो और सस्ते मकानों में नींव और फर्श बनाने में किया जाता है। ऐसे स्थानों पर जहां पर वर्षा अधिक होती है। वहां इस कंक्रीट का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
चुना कंक्रीट
जब कंक्रीट में बंधक पदार्थ के रूप में चुना का प्रयोग किया जाता है।
चुना कंक्रीट काम सामर्थ वाली कंक्रीट है इसी कारण इसका प्रयोग दीवारों की नींव , फर्श के आधार पर तथा चपटी छतो पर सीलन रोधक, व ताप सह स्तर के रूप में किया जाता है।
चुना कंक्रीट बनाने के लिए चुना , मोटा मिलाव, महीन मिलाव और जल का प्रयोग किया जाता है। महीन मिलावे के रूप में सुर्खी , बालू , या राखी का प्रयोग किया जा सकता है। मोटे मिलवा के रूप में ईंट की रोड़ी का प्रयोग किया जाता है।
स्थूल कंक्रीट के लिए 40 mm माप की कंक्रीट तथा फर्श के लिए 20 mm माप की रोड़ी का प्रयोग किया जाता है।
सीमेंट कंक्रीट
संघटक
सीमेंट , मोटा मिलाव, महीन मिलाव और जल
सीमेंट एक बंधक पदार्थ है। साधारण कार्यों में साधारण पोर्टलैंड सीमेंट का प्रयोग किया जाता है। सीमेंट में पानी मिलने के बाद आधे घंटे के अंदर कुटाई पूर्ण कर लेनी चाहिए। क्योंकि आधे घंटे के बाद सीमेंट जमना शुरू हो जाता है।
बालू
महीन मिलावे के रूप में बालू का प्रयोग किया जाता है। बालू गिट्टी के बीच के खाली स्थानों को भरता है। जिससे कंक्रीट सघन बनता है। बालू सूखी नदियों की तली से अथवा गड्ढे से खोद कर निकाल जाता है।
गिट्टी
गिट्टी के रूप में पत्थर की गिट्टी का प्रयोग किया जाता है। पत्थर की गिट्टी , ठोस, भारी, खुरदुरी सतह वाली व धनाकार होनी चाहिए। सामान्य कंक्रीट कार्यों के लिए 40mm व 20 mm माप की गिट्टी अधिक प्रयोग किया जाता है।
जल
सीमेंट में पानी मिलाने पर रासायनिक क्रिया होती है।जिसे जलयोजन क्रिया कहते है।इस क्रिया में सीमेंट के कण जेल के रूप में बदल जाते है।और महीन और मोटे मिलावे को ढाप लेता है।और सूखने पर ठोस पिण्ड के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
कंक्रीट के गुण
- कंक्रीट में प्रयोग किए जाने वाले संघटक आसानी से प्रत्येक स्थान पर मिल जाते है।
- कंक्रीट का उत्पादन सरल पड़ता है।इसको बनाने में कम समय लगता है।
- कंक्रीट को किसी भी आकार में आसानी में ढाला जा सकता है।
- कंक्रीट की सामर्थ्य ईंट और लकड़ी की तुलना में अधिक होती होती है।
- कंक्रीट के उपर मौसम का प्रभाव कम पड़ता है।
- कंक्रीट के उपर कीटो और दीमक का कोई प्रभाव नही पड़ता है।
- इसकी देख भाल करना आसान होता है।
- कंक्रीट की आयु अन्य पदार्थों की तुलना में अधिक होती है।
- जैसे जैसे समय बढ़ता है कंक्रीट की सामर्थ्य भी बढ़ती जाती है।
- कंक्रीट के द्वारा विशाल संरचना बनाई जाती है।
दोष
- कंक्रीट को एक बार ढालने के बाद उसके आकार में परिवर्तन करना कठिन होता है।
- कंक्रीट की तनन सामर्थ्य बहुत कम होती है। जिसके कारण इसमें स्टील डालना पड़ता है।
- ताप के कारण कंक्रीट में परिवर्तन होता है।जिसके कारण इसमें प्रसार जोड़ डालना पड़ता है।
- गीली कंक्रीट सूखने पर संकुचन होता है।जिसके कारण इसमें आंतरिक प्रतिबल उत्पन्न हो जाते है।
- कंक्रीट का स्वयम का भार बहुत अधिक होता है।
- कंक्रीट को ढालने के फर्माबंदी की आवश्कता होती है। जो इसकी लागत बढ़ा देता है।
- कंक्रीट का कबाड़ी मूल्य शून्य होता है।
कंक्रीट के भौतिक गुण
1- सामर्थ्य
2- टिकाऊपन
3- सुकार्यता
4- सघनता
1- सामर्थ्य
कंक्रीट की सम्पीडन सामर्थ्य बहुत अधिक होती है । कंक्रीट की तनन सामर्थ्य सम्पीडन सामर्थ्य की तुलना 10% तक ही होती है। इसी कारण कंक्रीट सम्पीडन सामर्थ्य पर ही विचार किया जाता है। इसी कारण सादा कंक्रीट का प्रयोग केवल उन्हीं संरचनाओं में किया जाता है। जहां सम्पीडन सामर्थ्य अधिक होती है।
2- टिकाऊपन
कंक्रीट में अच्छे गुणों के सीमेंट का प्रयोग और अच्छे मिलावे का प्रयोग करके कंक्रीट की आयु बढ़ाई जा सकती है जिससे उसका टिकाऊपन अधिक हो जाता है।
3- सुकार्यता
सुकार्यता का अर्थ है की कंक्रीट पर अच्छे से काम किया जा सके अर्थात कंक्रीट को बिछाना , फैलाना, कुटाई करना आदि।
कंक्रीट की सुकार्यता इसमें मिलाए जाने वाले पानी पर निर्भर करती हैं।कंक्रीट में जितना अधिक पानी होगा , उतना ही वो अधिक सुघटय होगी और उसकी सुकर्यता उतनी ही अच्छी होगी । परन्त बहुत अधिक पानी मिलाने से कंक्रीट की सामर्थ्य काम हो जाती है।
4- सघनता
कंक्रीट के गाढ़ापन को कंक्रीट की सघनता कहते है।कंक्रीट में जितना अधिक पानी होगा उसकी सघनता उतनी कम होगी।
कंक्रीट की सघनता और सुकार्यता ज्ञात करने के लिए अवपात परीक्षण किया जाता है।
कंक्रीट के प्रकार
- सादा कंक्रीट
- अल्प सीमेंट कंक्रीट
- सघन कंक्रीट
- स्थूल कंक्रीट
- कच्ची कंक्रीट
- कठोरकृत कंक्रीट
- अवपात शून्य कंक्रीट
- सामान्य भार वाली कंक्रीट
- उच्च भार वाली कंक्रीट
- प्रबलित कंक्रीट
- पूर्व प्रबलित कंक्रीट
- तैयार कंक्रीट
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