उत्तरवर्ती मुगल
बहादुरशाह प्रथम
मुगल सम्राट औरंगेब के बाद मुआजजम ने गद्दी संभाली उसने बहादुरशाह प्रथम के नाम से गद्दी पर बैठा ।
बहादुर शाह का शासन काल 1707 से 1712 था
इसे शाह आलम प्रथम भी कहा जाता है।
इसे शाह ए बेखबर भी कहकर पुकारा जाता था।
जहांदारशाह
इसका शासन काल 1712 से 1713 ई तक था।
जहांदारशाह एक अत्यंत अयोग्य शासक था ।वो तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिखार खान के सहयोग से शासक बना था। जहांदारशाह एक युद्ध में अपने भतीजे फारुखसियर द्वारा पराजित हुआ।
इसके बाद उसकी हत्या हो गई थी।
जहांदारशाह ने आमेर के राजपूत शासक जयसिंह द्वितीय को मिर्जा राजा सवाई की उपाधि और मालवा की सूबेदारी और मारवाड़ के शासक अजीत सिंह को महाराजा की उपाधि और गुजरात की सूबेदारी सौंपी।
जहांदारशाह ने हिंदुओ के प्रति मेल मिलाप की नीति का पालन किया।
जयपुर शहर आमेर के शासक जयसिंह ने बसाया था।
इसी शहर को सवाई रामसिंह ने प्रिंस ऑफ़ वेल्स ,के स्वागत के लिए 1876 ई० में इसे गुलाबी रंग से रंगवा दिया।इसी के बाद से इसे गुलाबी शहर कहा जाने लगा।
जयसिंह ने खगोलीय से संबंधित एक सारणी भी तैयार कराया, जिसे जिज मुहम्मद शाही के नाम से जाना जाता है।
जहांदारशाह को लंपट मूर्ख की उपाधि मिली थी।
फर्रुखसियर
फर्रुखसियर का शासन काल 1713 ई० से 1719ई० तक रहा
फर्रुखसियर सैय्यद बंधुओ के सहयोग से शासक बना।
फर्रुखसियर के शासन काल में जान सुरमन के नेतृत्व में अंग्रेजों का एक दल व्यापारिक रियायते प्राप्त करने के लिए आया था।
उस समय फर्रुखसियर फोड़े की बीमारी से पीड़ित था, जिसका इलाज अंग्रजों ने कर दिया इससे खुश होकर उसने 1717ई० में ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से एक फरमान जारी किया, ईस्ट इंडिया कंपनी के इतिहास का मेग्नाकार्टा कहा जाता है।
इसी प्रकार फर्रुखसियर के प्रतिनिधि हुसैन अली खां और पेशवा बालाजी विश्वनाथ के बीच 1719 ई० एक संधि हुई जिसे रिचर्ड टेंपल ने मराठा के इतिहास का मेग्नाकार्टा कहा हैं।
फर्रुखसियर के शासन काल में ही सिख नेता बंदा बहादुर की हत्या हो गई थी।
बंदा बहादुर जिसे सच्चा पादशाह भी कहा जाता है, के नेतृत्व में सिख एक बार फिर से मुगलों के विरुद्ध विद्रोह पर उतारो हो गए थे।
बंदा बहादुर का मूल नाम लक्ष्मणदास था।
सैयद बंधुओ ने 1719 ई में मराठाओं के सहयोग से फर्रुखसियर को गद्दी से हटा कर उसकी हत्या कर दी।
मुहम्मदशाह
फर्रुखसियर के बाद मुहम्मदशाह गद्दी पर बैठा।इसका मूल नाम रोशन अख्तर था
इसे मदिरा और सुंदर स्त्रीओ के प्रति अत्यधिक रुचि के कारण इसे मुहम्मदशाह रंगीला भी कहा जाने लगा ।
मुहम्मदशाह को संगीत से काफी लगाव था ।इसी के शासन काल में संगीत का सर्वाधिक विकास हुआ।
इसका शासन काल औरंजेब के बाद सबसे अधिक रहा इसका शासन काल 1719ई से 1748ई तक रहा।
सैय्यद बंधुओ का पतन भी इसी के शासन काल में हो गया
मुहम्मदशाह के शासन काल में अनेक राजाओं ने अपनी अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करनी शुरु कर दी।
सर्वप्रथम हैदराबाद ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की।
इसी के साथ अन्य राज्यों ने भी अपनी अपनी स्वतंत्रता की घोषणा प्रारम्भ कर दी,
बंगाल - अलीवर्दी खा
अवध - सआदत खा बुरहानुल मुल्क
कर्नाटक - सादुतुल्ला खा
नादिरशाह का भारत पर आक्रमण
नादिरशाह ने 13 फरवरी 1739 ई० को करनाल के युद्ध में मुहम्मदशाह की सेना बुरी तरह पराजित किया।
वो सिर्फ 57 दिनों तक दिल्ली में रहा और 70 करोड़ रुपए लूट कर ले गया उसने 3 वर्ष तक अपने राज्य की जनता पर कोई कर नही लगाया।
वो अपने साथ शाहजहां का मयूर सिंहासन तख्त ए ताउस और कोहिनूर हीरा भी लूट कर ले गया।
उसे फारस के नेपोलियन के नाम से जाना जाता हैं।
अहमदशाह
मुहम्मदशाह की मृत्यु के बाद अहमदशाह शासक बना।
इसका वजीर सफदजंग था
उसके शासन की संपूर्ण प्रशासन को राजमाता ऊधम बाई और जावेद खा के हाथो में थी।
अहमदशाह का शासन काल 1748ई० से 1754ई० तक रहा
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