Skip to main content

स्तम्भ -आधार Column Bases

 स्तम्भ आधार के प्रकार 

मुख्य: स्तम्भ आधार तीन प्रकार होते है।

(1) स्लैब आधार 

(2) गसेट आधार 

(3) जालदार (ग्रिलेज) नींव 

(1) स्लैब आधार (Slab Base) 



कम भार के लिए केवल इस्पात पट्टिका स्तम्भ भार कंक्रीट पेडेस्ट्रल में स्थानान्तरित करने के लिए प्रयोग करते हैं।इस तरह के आधार पट्टिका को स्लैब आधार कहते है।

जब स्तम्भ पर सीधा भार के साथ बंकन आघूर्ण कार्य कर रहा हो तो गुटका एंगल प्रयोग करते हैं जो आधार पट्टिका और स्तम्भ के फ्लैंज से जुड़े होते हैं  

ऐसा माना जाता है की अधिकतम बंकन आघूर्ण स्तम्भ के छोर पर अपघटित होता है। बंकन के कारण उत्पन्न एक अक्ष के सापेक्ष प्रतिबल , अन्य अक्ष पर बंकन में व्युत्पन्न प्रतिबल से प्रभावित होता है। 

X-X अक्ष से प्रक्षेपित स्लैब की 1 mm पट्टी strip लेने पर 

अधिकतम बंकन आघूर्ण = w x1 x a xa/2 = wa^2/2

Y-Y अक्ष से प्रक्षेपित स्लैब की 1mm पट्टी लेने पर ,तब 

अधिकतम बंकन आघूर्ण  = w x1 x b x b/2 = wb^2/2 

माना σat1 एवं σat2 ,लटक a और b के लिए क्रमश: अधिकतम तनन प्रतिबल हो एवं σbs स्लैब आधार में बंकन प्रतिबल हैं, तब 

a लम्बाई की लटक के लिए प्रतिरोध आघूर्ण = σat1 x z 

                               = σat1 x 3 x t^2/6 

b  लम्बाई की लटक के लिए प्रतिरोध आघूर्ण = σat2 x z 

                                                   =  σat2 x 1 x t^2/6

 साम्य के लिए ,आघूर्ण का मान प्रतिरोध आघूर्ण  के बराबर होगा ।

अत: 

                 σat2 x 1 x t^2/6=  wa^2/2 

                                  σat1= 3wa^2/t^2 

                             और 

σat2 x 1 x t^2/6 = wb^2/2  

                      σat2= 3wb^2/t^2 

परन्तु X-X अक्षीय दिशा में तनन प्रतिबल σat2 

Y-Y अक्षीय दिशा में  μ σat2 के बराबर संपीडन प्रतिबल जनित करेगा।

जहां μ = पॉयजन अनुपात है जिसका मान 0.25 लिया गया है।

Y-Y अक्ष के अनुक्रम में शुद्ध तनन प्रतिबल σbs 

                           = 3 wa^2/t^2 - 0.25{3wb^2/t^2}

                       σbs= 3w/t^2[a^2-b^2/4] 

                         t^2= 3w/σbs[a^2-b^2/4] 

                          

    जहां t= आधार पटिया की मोटाई    

          σbs= स्लैब आधार में अनुमेय बकन  प्रतिबल 

                =     185 N/mm^2           

(2) गसेट आधार का अभिकल्पन ( Design of Gusset Base) 



चरण (Steps) 

चरण 1 

स्तम्भ पर कार्यरत भार व कंक्रीट के अनुज्ञेय सम्पीडन प्रतिबल के आधार पर आधार प्लेट का क्षेत्रफल ज्ञात करे तथा भुजाओ के परिमाप निर्धारित करे। 

चरण-2 

गसेट प्लेट की उपयुक्त मोटाई मान ले। यह 10mm से 16mm ली जा सकती है। 

चरण 3 

फ्लैंज एगलो का न्यूनतम माप 150 x 115 x 12 mm रखे और इसके लिए 22 mm ϕ के रिवेटो का प्रयोग करे। फ्लैंज एंगल की बडी टांग खड़ी रखे। क्योकि इसमे रिवेटो की दो कतार लगाई जाती है। 

चरण 4 

एंगलो की धारण प्रतिबलो की जांच करे। 

चरण 5 

आधार प्लेट के माप निर्धारित करें। 

न्यूनतम चौड़ाई= [ I स्तम्भ की कुल गहराई]+2[आवरण प्लेट की मोटाई+ गसेट प्लेट की मोटाई + एंगल की छोटी टांग की लम्बाई] 

चरण 6 

आधार प्लेट की मोटाई बंकन प्रतिबलो  के आधार पर निर्धारित करे। 

चरण 7 

गसेट प्लेट  का  परिमाप  निर्धारित करे। 

चरण 8 

गसेट प्लेट पर आने वाले भार के आधार पर , रिवेटो की संख्या ज्ञात करे। 

चरण 9 

गसेट प्लेट की पूर्ण व्यवस्था चित्रित कीजिए। आधार प्लेट को कंक्रीट ब्लॉक में स्थापित करने के लिए ,इसके प्रत्येक कोने में एक एक एंकर वोल्ट उचित माप व लम्बाई के प्रयोग करे।

चरण 10 

I स्तम्भ की पार्श्विक खिसकन को रोकने के लिए वेब व आधार प्लेट पर अक्रिय ( Dummy joint) लगाए जाते हैं।

(3) जालदार (ग्रिलेज) नींव  


जब किसी स्तम्भ पर अत्यधिक भार आ रहा हैं और मृदा की धारण क्षमता पर्याप्त न हो अथवा नीव को अधिक गहराई तक ले जाना उचित न हो , तब जालदार नीव अपनाई जाती हैं। भारी भार वहन इस्पातीय स्तंभों के लिए सामान्यत: यही नींव अधिक प्रचलित है।

इस प्रकार की नींव में स्तंभ की धारक प्लेट के नीचे इस्पातीय धरन एक या अधिक पंक्तियो में रखे जाते हैं। कम भार पर धरनों की एक पंक्ति लगाई जाती हैं, परन्तु भारी भारो के लिए धरनों की ऊपर नीचे दो पंक्तियां दी जाती है। जब एक से अधिक परतों में धरन लगाए जाते हैं।तो एक परत के धरन दूसरी परत के धरनों के लम्ब रखे जाते हैं। 

अभिकल्पन विशिष्टया ( Design Specification) 

(1) जालदार नींव में स्थित धरनों के लिए जो सघन कंक्रीट में दबाए जाते है, अनुमत प्रतिबलो के मान 33-1/3% बढ़ा कर लिए जाते है, परन्तु खोखले संघटित धरनों का प्रयोग करने की दिशा में ये मान नहीं बढ़ाए जाएंगे।

जब वायु, भूकम्प अथवा निर्माण कार्य के दौरान आने वाले 

भारों को विचार में लेना हो तो उपरोक्त मान 50% अधिक रखे जाते है। 

(2) धरने सादा सघन कंक्रीट ,जो 10 mm मोटा मिलावे से बनी हो तथा जिसकी 28 दिन की घन की सामर्थ्य 16 N/mm2 से कम न हो द्वारा अवतरित होनी चाहिए। 

(3) एक पंक्ति के धरनों को पाइप अथवा अन्य उपयुक्त पृथक्कारी द्वारा इस प्रकार अलग अलग स्थिर किया जाए ताकि कंक्रीट डालते समय अथवा अन्य कारण से ये इधर उधर न खिसकने पाए।

(4) एक परत के दो निकटतम धरनों के फ्लैंजो के बीच 75mm की नियुन्तम दूरी बनी रहे,ताकि उनके मध्य कंक्रीट भरी जा सके।

(5) पंक्ति के बाहरी धरनों के बाहरी किनारो व सिरों पर तथा फ्लैंजो के ऊपर कंक्रीट आवरण की मोटाई 100mm से कम नहीं होनी चाहिए। 

(6) सभी जालदार धरनों के चारो तरफ डाली गई कंक्रीट को भली भांति संहनन करके ठोस बनाना चाहिए। 

नोट (i) कंक्रीट में अनुज्ञेय संपीडन प्रतिबल = 4 N/mm2 

(ii) इस्पात में अनुज्ञेय बकन प्रतिबल = 185N/mm2 

(iii) इस्पात में धारण  प्रतिबल = 187.5 N/mm2 


Read more 

GK 

साइंस , अविष्कार और अविष्कारक 

विज्ञान की प्रमुख शाखाएं


Comments

  1. Present sir
    Ashish Kumar Pandey

    ReplyDelete
  2. Present sir
    manish kumar singh

    ReplyDelete
  3. Vichitra Mani Singh
    Present sir

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Jarib , pictures, photo,जरीब का चित्र, chain survey,Part3 जरीब सर्वेक्षण chain survey

  जरीब सर्वेक्षण (Chain Survey) | सिद्धांत, प्रकार, फीता और उपकरण 📌 Introduction सर्वेक्षण (Surveying) सिविल इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसमें क्षेत्र की दूरी, दिशा और सीमाओं को मापा जाता है। जरीब सर्वेक्षण (Chain Survey) सबसे सरल और प्राचीन तकनीक है, जिसमें जरीब या फीता का उपयोग किया जाता है। 🔹 जरीब (Chain) क्या है? जरीब एक यांत्रिक उपकरण है जिसका उपयोग रेखीय दूरी नापने (Linear Measurement) के लिए किया जाता है। यह जस्तीकृत मृदु इस्पात की कड़ियों से बनी होती है। दोनों सिरों पर पीतल के हत्थे (Handles) लगे होते हैं। यह छोटे और समतल क्षेत्रों के सर्वेक्षण के लिए उपयुक्त है। 👉 जरीब को चेन सर्वे (Chain Survey) में मुख्य उपकरण माना जाता है। 🔹 फीता (Tape) क्या है? फीता (Tape) भी दूरी मापने का उपकरण है लेकिन इसमें कड़ियाँ नहीं होतीं। यह जरीब से हल्का और अधिक शुद्ध (Accurate) होता है। इसे कई प्रकार के पदार्थों से बनाया जाता है: सूती फीता (Cotton Tape) मेटलिक फीता (Metallic Tape) इस्पाती फीता (Steel Tape) इन्वार फीता (Invar Tape) 🔹 जरीब सर्व...

Part4जरीब सर्वेक्षण( उपकरण)

  खसका दंड।खसका दंड का प्रयोग  ये भी आरेखन दण्ड की तरह ही होता है। परन्तु इसके ऊपरी सिरे पर जरीब की हैंडल फसाने के लिए एक खांचा बना रहता है।जिसकी सहायता से खाई या झाड़ियों वाली स्थान में  जरीब के द्वारा नाप ली जाती है। खूँटी।  खूँटी का कार्य  खूँटी को सर्वेक्षण स्टेशनो की पहचान करने के लिए उस बिंदु पर गाड़ दी जाती है।ये लकड़ी  की बनी होती है। उसके ऊपर स्टेशन का नाम लिख दिया जाता है। उसकी लम्बाई 15 cm से 20 cm तक होती है। इसका शीर्ष 5cmx5cm वर्गाकार होता है।  साहुल।साहुल का कार्य  साहुल के द्वारा कम्पास , लेवल, थियोडोलाइट, आदि उपकरण को स्टेशन बिंदु पर केन्द्रण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त ढालू जमीन पर जरीब मापन करते समय तथा आरेखन दण्ड को ठीक ऊर्ध्वाधर खड़ा करने में साहुल द्वारा जांच की जाती है। ये धातु का शंकुनुमा पिण्ड होता है।जिसके शीर्ष में एक मजबूत डोरी बंधी होती हैं। झाडियाँ । झाडियाँ का कार्य आरेखन दण्डो दूर से पहचान करने के लिये,इनके शीर्ष पर कपड़े की चौकोर  लाल या सफेद रंग की झाडियाँ बांध दी जाती है।   समकोण...

what is surveying in hindi ,Surveying ,सर्वेक्षण Part 1

सिविल इंजीनियरिंग में सर्वेक्षण (Surveying in Civil Engineering) Meta Description: सिविल इंजीनियरिंग में सर्वेक्षण क्या है? इसका उद्देश्य, प्रकार, सिद्धांत और महत्व समझें। Land Survey, Engineering Survey, Topographical Survey और Theodolite Survey की पूरी जानकारी। Keywords: सर्वेक्षण सिविल इंजीनियरिंग, Engineering Survey, Land Survey, Topographical Survey, Cadastral Survey, Theodolite Survey, Plane Table Survey, Hydrographic Survey, Surveying Principles सर्वेक्षण क्या है? (What is Surveying?) सर्वेक्षण सिविल इंजीनियरिंग की वह शाखा है, जो किसी क्षेत्र पर बिंदुओं की स्थिति, दूरी और कोणों का मापन कर नक्शे और लेआउट तैयार करती है। यह सड़क, पुल, रेलवे, नहर, पाइपलाइन और भवन निर्माण जैसी परियोजनाओं के लिए आधार प्रदान करता है। Keywords: Surveying in Civil Engineering, Civil Engineering Survey, Construction Survey सर्वेक्षण का उद्देश्य (Purpose of Surveying) सटीक नक्शा और योजना बनाना – टोपोग्राफिकल और कैडस्ट्रल नक्शा तैयार करना। निर्माण स्थल का चयन – सड़क, रेलवे, पाइपलाइन और सीवर लाइन ...