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धरन Beam part 1

 धरन (Beam )

धरन एक संरचनात्मक सदस्य हैं जिसकी लम्बाई उसकी चौड़ाई से अधिक होती है।इस पर अनुप्रस्थ भार लगता है।

धरनों के प्रकार ( types of beam) 

(1) शुद्धलम्बित धरन ( simply supported beam) 

ऐसी धरन जिसके सिरे मुक्त रूप से दीवारों या स्तंभ अथवा नुकीले सिरों पर आलंबित होते है तो इसे शुद्धलम्बित धरन कहते है। 


(2) प्रास धरने (cantilever Beam) 

जब धरन का एक सिरा जी फिक्स होता है और दूसरा सिरा मुक्त होता है तो इसे प्रास धरन कहते है 

(3) आबद्ध या संघटित धरने 

जब धरन के दोनो सिरे पूरी तरह दृढ़ आबद्ध हो  तो इस प्रकार की धरने आबद्ध या संघटित धरने  कहते है।

(4) सतत धरने 

जब कोई धरन दो से अधिक अलम्बो पर टिकी हो तो ऐसे धरनों को सतत धरन कहते है। 

धरन खण्डो के प्रकार 

इस्पात के विभिन्न खण्ड धरन के रूप में प्रयुक्त होते है।कोणीय और T खण्ड बकन में कमजोर होने के कारण धरन के लिए उपयुक्त नहीं है। 

कम भार के लिए चैनल खण्ड का प्रयोग धरन के रूप में किया जा सकता है। 

धरन के लिए सबसे सही I खण्ड होता है। एक एकल वेल्लित इस्पात I खण्ड अवशयक आकृति मापांक के साथ एक I काट कवर प्लेट के साथ लिया जा सकता है।


धरन अभिकल्पन के  तकनीकी पद 

1 धरन की प्रभावी विस्तृति 

a) सामान्य आलम्बित धरन के लिए 

प्रभावी विस्तृति = आलम्बो के केन्द्र से केन्द्र की दूरी 

b) प्रास धरनों के लिए 

प्रभावी विस्तृति = आलम्ब के मुख से मुक्त सिरे की दूरी+ 1/2x प्रभावी लम्बाई 

2 आकृति मापांक ( Section Modulus) 

ये काट में जड़त्व अधूर्ण और काट के दूरस्थ रेशे की उदासीन अक्ष से दूरी का अनुपात है। 

                 Z= I/y 

बंकन आघूर्ण (Bending Moment) और कर्तन बल।       ( shear force) 




जड़त्व आघूर्ण (Moment of inertia) 

किसी क्षेत्र का  आघूर्ण निकालने के लिए ,किसी बिंदु के सापेक्ष उस क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर दूरी के गुणनफल के बराबर होता है। 

 यदि इसी आघूर्ण का पुन: ऊर्ध्वाधर दूरी  से गुणा कर दिया जाए तो इसे द्वितीय क्षेत्र अधूर्ण कहेंगे ,इसी द्वितीय क्षेत्र आधूर्ण  को ही जड़त्व आघूर्ण कहा जाता है। 



प्रतिरोध आघूर्ण ( Moment of  Resistance) 

ये धरन काट द्वारा भार की दिशा में बंकन के विरुद्ध किया गया प्रतिरोध है। इसे M.R से प्रदर्शित करते है, 

M.R= (σbc या σbt)xZ 

  σbc= संपीडन में अनुज्ञेय बंकन प्रतिबल 

σbt= तनन में अनुज्ञेय बंकन प्रतिबल 

Z= आकृति मापांक 

बंकन प्रतिबल (Bending Stress) 

बंकन प्रतिबल का मान साधारण बंकन सूत्र से ज्ञात किया जाता है। 

                     M/I=σ/y= E/R 

M= काट का बंकन आघूर्ण 

I= काट का उदासीन अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण 

R= वक्रता की त्रिज्या 

E= प्रत्यास्थता गुणांक 

Y= उदासीन अक्ष से दूरस्थ रेशे की दूरी 

नोट संपीडन में अधिकतम अनुमेय बंकन प्रतिबल σbc या तनन σbt में 0.66fy हैं। 

अपरूपण प्रतिबल  τ ( shear stress) 

अपरूपण प्रतिबल वह प्रतिबल है जो धरन पर लगने वाले कर्तन बल का विरोध करने के लिए सम्पूर्ण काट में संचारित होते है। 

              τ = (v/Ib)xA(ȳ) 

               v= कर्तन का जड़त्व आघूर्ण 

             Aȳ= क्षेत्र आघूर्ण 

               I= काट जड़त्व आघूर्ण  

               b= काट की चौड़ाई  

     अनुमेय कर्तन प्रतिबल τva= 0.4fy 

धारण प्रतिबल ( Bearing Stress) 

इसे विकलांगता (crippling) प्रतिबल भी कहते है। धारण प्रतिबल वहा संचारित होता है जहां संकेंद्रिय भार या प्रतिक्रिया लगता हो। 

धारण प्रतिबल निम्न सूत्र से ज्ञात करते है।

                σb= P/Ae ≯ 0.75fy 

  जहां P= संकेंद्रीय भार 

         Ae= प्रभावी क्षेत्र (सिरे से फिलेट के 30° के अंतर्गत खींची गई रेखा पर)

        Fy =पराभव प्रतिबल 

विफलता के तरीके (Modes of failure) 

धरन निम्न तरीको से विफल हो सकती हैं।

1) बंकन विफलता ( Bending failure) 

2) अपरुपण विफलता ( Shear failure) 

3) विक्षेप विफलता ( Deflection failure) 

1) बंकन विफलता ( Bending failure) 

बंकन विफलता या तो संपीडन फ्लेंज के संदलन ( crushing) अथवा तनन फ्लैंज के भंग ( Fracture) होने से होता है।

2) अपरुपण विफलता ( Shear failure) 

 ये विफलता प्राय: उच्च कर्तन बल के सन्निकट धरन की वेब में व्याकुंचन में देखा जा सकता है। 

3) विक्षेप विफलता ( Deflection failure) 

जब धरन की वांछित प्रयोग में विक्षेप की सीमा तय हो तो धरन का अत्यधिक विक्षेप भी विफलता का प्रतीक बन जाता है।

पार्श्विक आबद्ध धरन(Laterally Restrained Beam) 

जब धरन के संपीडन फ्लैंज के पार्श्व विक्षेप को पार्श्व आधार द्वारा रोक दिया जाता है तो इसे पार्श्विक आबद्ध धरन (Laterally restrained beam) कहते है।

पार्श्विक आश्रित धरन में अनुमेय संपीडन बंकन प्रतिबल (σbc) अपरिवर्तित रहता है और इसके मान में कमी करने की आवश्यकता नहीं है।σbc का मान अनुमेय बंकन तनन प्रतिबल σbt के मान के बराबर लिया जाता है। 

         σbc=σbt=0.66fy 

धरन की भार वहन क्षमता ज्ञात करने के चरण ( Step by step procedure for finding out load carrying capacity of beam) 

चरण1 

दिए गए धरन के लिए इस्पात तालिका से काट क्षेत्र(A) एव आकृति मापांक(Z) ज्ञात कीजिए। 

चरण 2 

यदि दिया न गया हो तो अनुमेय बंकन प्रतिबल संपीडन ( σbc) अथवा तनन     (σbt) का मान ले। दिए गए धरन काट के लिए प्रतिरोध आघूर्ण निकालिए।

   MR= σbcxZ

चरण 3 

दिए गए भार अवधारणा के अनुसार अधिकतम बंकन आघूर्ण M की गणना करे।

चरण 4 

खण्ड प्रतिरोध आघूर्ण को बंकन आघूर्ण के बराबर रखकर धरन की भार वहन क्षमता ज्ञात करे। 

पार्श्विवक आबद्ध धरन का अभिकल्पन( Design of laterally Restrained beam) 

इसका अभिकल्पन निम्न चरणों में किया जाता है।

चरण 1 

सबसे पहले धरन का कुल भार निकालते है।

इसके बाद धरन का स्वयं का भार ज्ञात करे ।और इसमें अध्यारोपित भार को जोड़ दे।

नोट धरन का स्वयं का भार कुल भार का W/300 से W/500 तक माना जाता है।

चरण 2 

धरन की चौड़ाई 150 mm से 300mm तक मानी जाती है।

चरण 3 

धरन की प्रभावी विस्तृति ज्ञात करे।

चरण 4 

सिरे के स्थिति के अनुसार अधिकतम बंकन अघूर्ण और कर्तन बल ज्ञात करे। 

चरण 5 

σbc=σbt= 0.66fy ले। 

चरण 6 

आकृति मापांक ज्ञात करे 

     Z= M/σbc


चरण 7 

इस्पात तालिका से एक उपयुक्त धरन काट का चयन करे ।

चरण 8 

औसत अपरुपण के अनुसार अपरुपण के लिए ट्रायल काट का चयन करे।

औसत अपरुपण प्रतिबल 

τva= V/hxtw < 100 N/mm2 

  h= काट की गहराई 

  tw= वेब की मोटाई 

  V = धरन पर कार्यकारी अधिकतम अपरुपण बल 

चरण 9

विक्षेप के लिए ट्रायल काट ले ऐसा एक उपयुक्त सूत्र द्वारा अधिकतम विक्षेप की गणना के अनुसार करे।

अनुमन्य विक्षेप = प्रभावी  विस्तृति  /325  (शुद्धालम्बित धरन के लिए  )

                                = प्रभावी विस्तृति /325        ( प्रास धरन के लिए )

चरण 10 

बंकन की जांच σbc या σbt = M/Z <165 N/mm2

Comments

  1. Vichitra Mani Singh
    Present sir

    ReplyDelete
  2. Present sir
    Ashish Kumar Pandey

    ReplyDelete

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