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CMEAD part3 chapter 2

 निर्माण संक्रियाये 

किसी परियोजना को पूरा करने के लिए अनेक उप संक्रियाये संपन्न करनी होती हैं।

एक निर्माणधीन भवन को समान्यत: निम्नलिखित उपसंक्रियाओ में विभाजित किया जाता हैं

(1) स्थल की सफाई व निशानदेही 

(2) नीव की खुदाई 

(3) नींव में कंक्रीट का कार्य 

(4) नींव तथा प्लिंथ में चिनाई 

(5) सील रोक रक्षा 

(6) अधिरचना में चिनाई 

(7) प्रबलित कंक्रीट कार्य 

(8) छत कार्य 

(9) दरवाजे तथा खिड़कियां 

(10) नलकारी तथा स्वच्छता फिटिंग 

(11) प्लास्टर व टीप कार्य 

(12) फर्श डालना 

(13) विद्युत फिटिंग 

(14) पेंटिंग 

(15) भवन का संबंधित विभाग को अंतरण 

समय निर्धारण या अनुसूचन 

अनुसूचन 

सभी क्रियाओं को समय के अनुसार समयबद्ध करके इस प्रकार अनुक्रम में रखना की संपूर्ण कार्य एक व्यवस्थित ढंग से पूरा किया जा सके , अनुसूचन कहलाता है।

अनुसूचन में संक्रियाओ के प्रारंभ तथा समाप्ति का समय निर्धारित किया जाता है।

परियोजना का आयोजन करने के बाद इसके लिए अनुसुचन किया जाता है।

आयोजन में क्रियाओं का क्रम और अनुसूचन में इनके लिए समय का निर्धारण किया जाता है।

यदि किसी अपरिहार्य कारणों से कार्य की प्रगति में बाधा पड़ जाती है, तो परियोजना का पुन: अनुसूचन हो जाता है।

अनुसूचन के लाभ 

(1) क्रियाओं की सूची 

परियोजना के अंतर्गत सम्पन् किए जाने वाली निर्माण क्रियोंओ की उपयोगी सूची बन जाती है।

(2) निर्माण समय का ज्ञान 

क्रियाओ में लगने वाली समय की अवधि तथा इनके प्ररम्भ एवम समाप्ति की जानकारी मिल जाती है।

(3) कुल अवधि 

परियोजना में लगने वाली कुल अवधि ज्ञात हो जाती है।

(4) निर्भरता 

क्रियाओं की एक दूसरे के ऊपर की निर्भरता का पता चलता है। अर्थात किस क्रिया के बाद कौन सा कार्य करना है ये पता चल जाता है।

(5) सामग्री का ब्योरा 

अलग अलग चरणों पर सामग्री की आवश्कता का पता चल जताभाई।जिससे समय रहते इसकी आपूर्ति की जा सके।

(6) उपस्कर की व्यवस्था 

परियोजना पर विभिन्न मशीनों के प्रयोग की अवधि को गणना की जा सकती है।

(7) धन का आवंटन 

निर्माण के विभिन्न चरणों में धनराशि की आवश्यकता का पता लग जाता है।

(8) प्रगति की तुलना 

निर्माण कार्य की वास्तविक प्रगति तथा आयोजित प्रगति की तुलना करके पता लगाया जाता है। कि कार्य संतोष जनक चल रहा हैं की नही ।

(9) संसाधनो का  उत्तम उपयोग 

निर्माण के लिए सभी आवश्यक संसाधन ,सामग्री ,संयंत्र ,श्रमिक ,समय ,पूंजी का उत्तम उपयोग किया जा सकता है।

(10) सुनिश्चित समापन 

अनिसूचन का सबसे बड़ा लाभ ये है कि प्रबंधकों को उपलब्ध संसाधनों तथा क्षमता के अंदर रहते हुए परियोजना को निर्धारित अवधि में समापन का विश्वास हो जाता है।


निर्माण क्रियाओ के लिए आयोजन और अनुसोचन की विधियां 

जब परियोजना मध्यम या बड़ी होती है। तो उसके अनुसूचन के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती है।

चार्ट द्वारा 

(1) पट्टी या बार चार्ट 

(2) संशोधित बार चार्ट 

नेटवर्क द्वारा 

(1) क्रान्तिक पथ विधि 

(2) कार्यक्रम मूल्यांकन तथा पुनरीक्षण विधि 

पट्टी या बार चार्ट परियोजना की विभिन्न क्रियाओ को चित्र रूप में प्रदर्शित करने से निर्माण कार्यों की प्रगति पर नजर रखने से अधिक सुविधा रहती है। अत: क्रियाओ को प्रारम्भ करने से लेकर समाप्ति तक की अवधि को समय के पैमाने पर एक क्षैतिज पट्टी के रूप में चार्ट पर दिखाया जाता है।

पट्टी का बाया छोर क्रिया का प्रारम्भ तथा दाया छोर क्रिया की समाप्ति को दर्शाता है।

इसमें समय को घंटो ,दिनों सप्ताह, या महीनो किसी में भी लिया जा सकता है, परन्तु एक बार चार्ट में सभी क्रियाओ की समय की इकाई एक ही ली जानी चाहिए।

निर्माण अनुसूची के लिए बार चार्ट अधिक सुविधा जनक रहता है।

बार चार्ट की मुख्य बातें 

(1) पट्टी (BAR) ग्राफ पेपर पर क्षैतिज दिशा में बाएं से दाएं खींची जाती है।

(2) पट्टी बार की लम्बाई ,क्रिया की अवधि को दर्शाती है।पट्टी की मोटाई का कोई महत्व नहीं होता है।

(3) बार का बाया छोर क्रिया को प्रारम्भ करने का समय तथा दाया छोर समाप्त करने का समय दर्शाता है।

(4) ग्राफ पर क्रियाएं ऊर्ध्व अक्ष पर तथा इनके लिए वांछित अवधि क्षैतिज अक्ष पर दिखाए जाते है। 

(5) बार चार्ट पर आयोजित प्रगति के साथ साथ कार्य की वास्तविक प्रगति भी दिखाई जाती है।आयोजित प्रगति की बार उपर तथा वास्तविक प्रगति की इसके ठीक नीचे सटाकर खींची जाती है।दोनो बारों की पहचान के लिए इनको अलग अलग रंगो में दिखाया जाता है। 

आयोजित प्रगति को काले रंग में तथा वास्तविक प्रगति को लाल रंग में दिखाया जाता है।

या ऊपर वाली पट्टी में हैचिंग तथा निचली पट्टी में सियाही भर दी जाती है।

(6) बार चार्ट पर समय का अनुसूचन किया जाता है। मदो  के परिणाम की पूर्ति दर अंकित नहीं की जाती है।

(7) बार चार्ट पर बहुत अधिक क्रियाओ को दिखाने से बचना चाहिए अन्यथा इसका आकार बहुत बड़ा हो जायेगा ।जिससे असुविधा होगी ।

(8) ये विधि छोटे कार्यों या मध्यम कार्यों के लिए उपयोगी रहती है।



बार चार्ट के लाभ 

(1) आसान चित्रण 

बार को बनाना और समझना बहुत ही आसान होता है।सामान्य व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ सकता है।

(2) प्रगति की तुलना 

इसमें प्रगति की तुलना करना बहुत ही आसान होता है। क्योंकि इसमें आयोजित प्रगति और वास्तविक प्रगति को साथ साथ दिखाया जाता है।

(3) क्रियाओं की स्पष्टता 

इसमें अलग अलग क्रियाओं के लिए निर्धारित पूर्ति अवधि साफ हो जाती है।

(4) क्रियाओं का संबंध 

चार्ट पर विभिन्न क्रियाओ की आपसी तुलना तथा संबंध का पता आसानी से लग जाता है।


बार चार्ट की कमियां 

(1) सम्पूर्ण प्रगति का न दर्शाना 

बार चार्ट पूरे प्रोजेक्ट की प्रगति नहीं दर्शाता है।इसी कारण ये प्रगति पर प्रभावी नियंत्र नही रख पता है।

(2) उपक्रियाओ का ठीक चित्रण न होना 

एक मुख्य क्रिया से जुड़ी हुई कुछ उप क्रियाएं भी होती है।जिनका मुख्य क्रिया से पहले पूरा होना अति आवश्यक है।

जैसे 

प्रबलित सीमेंट कंक्रीट क्रिया तब तक पूरी नहीं हो सकती है।जब तक निम्नलिखित उप क्रियाएं पूरी न हो।

(1) फरमा बंदी 

(2) सामग्री की सप्लाई 

(3) इस्पात का बिछाना 

(4) कंक्रीट डालना 

(5) फरमा बंदी हटाना 

(6) तराई करना 

परंतु हम देखते है की बार चार्ट में ये सभी उप क्रियाये नहीं दिखाई जाती है।

और यदि किसी उपक्रिया में देरी होती है।तो मुख्य क्रिया संपन्न नहीं हो सकती है।और परियोजना प्रभावी ढंग से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

(3) परस्पर निर्भरता का अभाव 

इसमें क्रियाओ के परस्पर निर्भरता का आभाव रहता है।

(4) असुविधा जनक चार्ट 

क्रिया की संख्या अधिक हो जाने पर या लंबे समय तक चलने के कारण बार पट्टी की लम्बाई अधिक हो जाती है।जो सुविधाजनक नहीं रहता है।

 संशोधित बार चार्ट 

सामान्य बार चार्ट में उप क्रिया अलग से नहीं दिखाई जाती है।

इस कठिनाई को दूर करने के लिए गैंट के बार चार्ट को 1940 में संशोधित किया गया है।

संशोधित चार्ट को माइल स्टोन बार चार्ट कहते है। माइल स्टोन बार चार्ट में उप क्रियाओं को मुख्य क्रिया के ऊपर चल संकेतो द्वारा दर्शाया जाता है।

संकेतो पर A,B,C अक्षर डाल दिए जाते हैं जो इस प्रकार है।

A= सामग्री की सप्लाई 

B= फरमा बंदी 

C= प्रबलन इस्पात बिछाना 

D= कंक्रीट डालना । 



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