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CMEAD chaper3 part5

 

नेटवर्क बनाने के नियम।    

 ( Rules for Network Construction) 

(1) इसमें तीर का प्रयोग संक्रिया को  प्रदर्शित  करने में किया जाता है।संक्रिया की अवधि का तीर की लम्बाई व मोटाई से कोई संबंध नही है।

संक्रियाओ की अवधि को तीर के नीचे लिखा जाता है।

(2) इसमें  प्रत्येक घटना को एक वृत द्वारा दिखाया जाता है। तीर के दोनो सिरे संक्रिय के अंत और आरंभ को दर्शाते है। तीर का पिछला सिरा संक्रिया का आरंभ तथा अगला सिरा संक्रिया की समाप्ति को दर्शाता है।

(3) जब तक एक संक्रिया पूरी न हो जाए अगली घटना पर नही पहुंचा जा सकता है।

(4) एक घटना के पहले की सभी संक्रियाये पूर्ण होने के बाद ही आगे की संक्रिया शुरू की जायेगी।

(5)  इसमें नेटवर्क में तीर का प्रवाह बाए से दाएं की ओर रखा जाता है।

(6) इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है। की नेटवर्क बंद नहीं होना चाहिए अर्थात कोई भी लूप नहीं बनना चाहिए। 

(7) एक नेटवर्क में केवल एक आरंभ तथा एक समापन बिंदु होता है।इन दोनो बिंदुओ के बीच अनेक समांतर पथ हो सकते है।

(8) कोई भी संक्रिया छूटनी नहीं चाहिए सभी संक्रिया अंतिम नोड पर पहुंचना चाहिए।

(9) अलग अलग संक्रियाओ के तीर एक दूसरे। को काटने नहीं चाहिए। 

नेटवर्क के मूल आरेख 

संक्रियाओ की निर्भरता के अनुसार नेटवर्क को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है।

(1) अनुक्रम नेटवर्क 

इसमें एक संक्रिया दूसरी संक्रिया पर निर्भर होती है।और जब तक एक संक्रिया पूरी नही हो जाती तब तक दूसरी संक्रिया शुरू नहीं की जा सकती है। 

(2) अपसारी नेटवर्क 

इस नेटवर्क में संक्रिया B और C तब तक नहीं शुरू की जा सकती है।जब तक A खत्म नही हो जाती है। परन्तु B और C एक ही समय पर आरम्भ की जा सकती है।

(3) अभिसारी नेटवर्क 

इस नेटवर्क में संक्रिया C तब तक आरम्भ नहीं की जा सकती है,जब तक संक्रियाये A और B पूर्ण नहीं हो जाती है।अर्थात C पूर्ण रूप से संक्रिया A और B पर आश्रित है।

(4) समान्तर नेटवर्क 

इस नेटवर्क में B,A का तथा F, E का अनुसरण करती है। परन्तु दोनो नेटवर्क A-B तथा E-F स्वतंत्र है। और एक दूसरे पर निर्भर नहीं करते है। 

घटना से संबंधित समय 

(1) शीघ्रतम घटना समय (Earliest Event Time TE) 

किसी घटना तक पहुंचने के लिए जो न्यूनतम समय लगता है।उसे शीघ्रतम घटना समय कहते है।इसे घटना के पास एक वर्गाकार खाने में लिखा जाता है। 

(2) विलम्बन घटना समय (Latest Event Time TL) 

किसी घटना तक पहुंचने के लिए प्रोजेक्ट के समापन काल पर प्रभाव डाले बिना जो अधिकतम समय लगता है।उसे विलम्बन घटना समय  कहते है।इसे घटना के पास एक त्रिभुजाकार खाने में लिखते है। 

TE तथा TL की उपयोगिता

(1) जिन घटनाओं के TE=TL है, उन पर मिलने वाली संक्रियाओ में विलम्ब नही किया जा सकता अन्यथा प्रोजेक्ट के समापन काल में विलम्ब होगा।

(2) जब TL> TE है तो इनके अन्तर की अवधि के बराबर उस घटना पर मिलने वाली संक्रियाये विलम्ब से आरम्भ अथवा समाप्त की जा सकती है। ऐसा करने पर प्रोजेक्ट के समापन काल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

(3) जिन घटनाओं का TE=TL हैं, उन्हें क्रान्तिक घटनाएं कहते है। संक्रियाओ का क्रान्तिक पथ इनको छूता हुआ निकलता है। 

संक्रिया से संबंधित समय 

(a) अवधि (Duration) 

किसी संक्रिया में लगने वाले समय को अवधि कहते है।इसे D से प्रदर्शित करते है।

(b) शीघ्रतम आरम्भ (Earliest start E.S) 

वह शीघ्रतम समय जब कोई संक्रिया आरम्भ की जा सकती है।ये समय संक्रिया के आरम्भ पर दी गई घटना के शीघ्रतम घटना समय TE के बराबर होता है। अर्थात 

E.S=TE 

(c) शीघ्रतम समापन (Earliest Finish E.S) 

वह शीघ्रतम समय जब कोई संक्रिया पूरी हो सकती है। अर्थात 

E.F= F.S+D 

(d) विलम्बतम समापन ( Latest Finish L.F) 

ये वह विलम्बतम समापन हैं जब कोई संक्रिया प्रोजेक्ट की समापन अवधि को प्रभावित किए बगैर पूरी हो सकती है।ये समय संक्रिया के अन्त पर दी गई घटना के विलम्बतम घटना समय T के बराबर होता है। 

(f) समय छूटन या फ्लोट (Total float)

प्रोजेक्ट की समापन अवधि को बढ़ाए बगैर ,कोई संक्रिया जितनी देरी से शुरू अथवा समाप्त की जा सकती है,उसे संक्रिया का समय छूटन या कुल फ्लोट कहा जाता है।

क्रान्तिक पथ की विशेषताएं (Properties of critical path) 

(1) क्रान्तिक पथ पर पड़ने वाली सभी संक्रियाये, क्रान्तिक  संक्रियाये कहलाती है।इनको निर्धारित समय में ही पूरा करना होता है। क्रान्तिक क्रियाओं में कोई छूटन या फ्लोट नहीं होता है। 

(2) क्रान्तिक पथ की सभी घटनाए भी क्रान्तिक घटनाए कहलाती है। 

(3) नेटवर्क में एक से अधिक क्रान्तिक पथ हो सकते है।

परन्तु इनका प्रारम्भ और समापन एक बिंदु पर ही होगा।

(4) क्रान्तिक संक्रियाओ की पहचान है कि इनके सिरो पर की घटनाओं का TE=TL होता है। 

क्रान्तिक पथ विधि द्वारा आयोजन और समय निर्धारण के चरण 

(1) सर्वप्रथम परियोजना को विभिन्न संक्रियाओ में बांट ले ।यदि जरूरी हो तो इनका नामन अंग्रेजी अक्षरो से करे जैसे A,B,C 

(2) प्रत्येक संक्रिया के लिए समापन अवधि निर्धारित करे।

(3) विभिन्न संक्रिया की आपसी निर्भरता निर्धारित कर ले।

(4) संक्रियाओ तथा घटनाओं को लॉजिक के अनुसार जोड़ते हुए नेटवर्क बना ले  

(5) प्रत्येक घटना की अनुक्रम संख्या लिख दे।

(6) विभिन्न संक्रियाओ के आरम्भ तथा समापन के TE तथा TL समय  की गणना करे । 

(7) शीध्रतम TE तथा विलम्बतम समय को नेटवर्क के ऊपर चौकोर खाने में तथा त्रिभुजाकार खाने में लिख दे 

(8) जिन घटनाओं का TE=TL हैं, उन सबको मिलाने  वाली रेखा को रंगीन/मोटा / दोहरा कर दे।यही क्रान्तिक पथ होगा।

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