लेवल मापी ( तल मापी ) यंत्र के प्रकार ( Types of level)
लेवल उपकरण निम्न प्रकार के होते हैं।
(1) डम्पी लेवल (Dumpy Level)
(2) वाई लेवल ( Wye or y level)
(3) उत्क्रमणीय लेवल ( Reversible Level)
(4) झुकाऊ लेवल ( Tilting level)
(5) आधुनिक लेवल ( Modern level)
(1) डम्पी लेवल (Dumpy Level)
इस लेवल का विकास ग्रेवेट ने किया था ।डम्पी लेवल में इसकी दूरबीन नलिका दो कालरो द्वारा ऊध्र्वाधर पिंडी ( Spindle) से स्थाई रूप से जुड़ी रहती है। इस कारण दूरबीन न ही अपने अनुदैर्ध्य अक्ष के प्रति घुमायी जा सकती है और न ही आलम्बो से बाहर निकाली जा सकती है। लेवल की पिंडी समतलन हेड की साक्ट में घूम सकती है। इसे ठोस डम्पी भी कहते है।
इसमें दूरबीन के एक सिरे पर अभिदृश्य कांच (Object Glass) लगा रहता है। तथा दूसरे सिरे पर नेत्रिका ( eye piece) लगी रहती है।
नेत्रीका के आगे नलिका में बिम्बपट (Diaphragm) फिट होता है। फोक्सी पेंच द्वारा दूरबीन का फोकस करने पर स्टेशन बिंदु पर रखे गज का उल्टा प्रतिबिंब बिम्बपत Diaphragm पर पड़ता है, जिसे नेत्रीका की सहायता से पढ़ा जा सकता है।
दूरबीन - नलिका के शीर्ष से सटी हुई एक लम्बी पाणसल। ( Bubble Tube) तथा इसके आड़ी एक छोटी पाणसल लगी रहती है। पाणसल दृष्टि रेखा को ठीक क्षैतिज करने के काम में आती है।
दूरबीन पाणसल सहित अपने क्षैतिज समतल में मुक्त रूप से घूम सकती है।
(2) वाई लेवल ( Wye or y level)
इसकी दूरबीन Y आकार के क्लिप अलम्बो पर टिकी रहती है ।इसी कारण इसका नाम वाई लेवल रखा गया है। इसमें क्लिपो को ऊपर उठा कर,दूरबीन को अलम्बो से बाहर निकाला जा सकता हैं , अनुदैैर्ध्य अक्ष पर घुमाया जा सकता है तथा सिरों की अदला बदली की जा सकती हैं।
एक लम्बी पाणसल दूरबीन के बगल में अथवा तली पर Y अलम्बो के मध्य फिट की जाती हैं।
इसमें फोकसी पेंच , क्लैम्प पेंच तथा सूक्ष्म गति पेंच डम्पी लेवल के तरह ही होते है।
इसमें चल भाग अधिक है, जिनका निघर्षण(Wear and Tear) अधिक होता है।
(3) उत्क्रमणीय लेवल ( Reversible Level)
ये डम्पी लेवल और Y लेवल का मिला हुआ रूप है।अर्थात इसमें दोनो की विशेषताएं सम्मिलित हैं।इसमें दूरबीन दो दृढ़ सॉकेटो द्वारा पिंडी से जुड़ी रहती हैं। सॉकेट में लगे पेंच को कस देने पर ,ये डम्पी लेवल बन जाता है,और पेंच को ढीला करने पर Y लेवल बन जाता है।
इसके सिरे भी अदले बदले जा सकते है और दूरबीन को अपने लम्ब अक्ष घुमाया भी जा सकता हैं।
झुकाऊ लेवल( Tilting Level)
झुकाऊ लेवल में दूरबीन को उसके अनुदैैर्ध्य अक्ष में थोड़ा नीचे को झुकाया जा सकता है।इसलिए इसे झुकाऊ लेवल कहते हैै।
दूरबीन को झुकाने के लिए इसके नेत्रिक वाले सिरे के नीचे एक झुकाऊ पिन लगा रहता है।इसको ढाल पेंच भी कहते हैं।डम्पी और Y लेवल में दृष्टि रेखा , उपकरण के समायोजन पर ,इनके ऊर्ध्व अक्ष के ठीक लम्वबत होती है, परंतु झुकाव लेवल में ये बाध्य नहीं हैं।
झुकाव लेवल की मुख्य विशेषता ये हैं कि पाणसल का बुलबुला मध्य में लाने के लिए और अस्थाई समायोजन के लिए पेंचो को चलाना आवश्यक नहीं है। ये कार्य बड़ी शीघ्रता से झुकाव पेंच को घुमाने से भी संपन्न हो जाता है।
झुकाऊ लेवल का स्थाई समंजन सरल पड़ता हैं और कम समय लेता हैं।इसके लिए अक्ष रेखा, पाणसल अक्ष के समांतर होनी चाहिए ।
झुकाऊ लेवल परिशुद्ध तलेक्षण के लिए उपयुक्त उपकरण हैं, परन्तु अब सामान्य कार्यों के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता हैं।
आई० ओ० पी ० लेवल( India office pattern level)
भारत में झुकाऊ लेवल को ही इण्डिया ऑफिस पैटर्न लेवल या आई० ओ० पी ० लेवल के नाम से जाना जाता है,
आई० ओ० पी ० लेवल की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं।
(1) दर्पण पट्टी
पाणसल का बुलबुला मध्य स्थिति में देखने के लिए ,इसके ऊपर एक दर्पण पट्टी लगी रहती हैं।
(2) पिल बॉक्स या गोलीय पाणसल
इसमें पिल बॉक्स पाणसल( Pill Box Bubble) लगी होती हैं,जिससे उपकरण को दो समकोणक अक्षो पर समतल किया जा सकता हैं।
(3) दिक्सूचक
सर्वेक्षण रेखाओं का दिकमान लेने के लिए दूरबीन में बने खांचे में प्रिज्म दिक्सूचक टांगी जा सकती है।
(4) स्टेडिया तारे
डायाफ्राम पर स्टेडिया तारे बनी होती है, जिनके द्वारा लेवल यंत्र और गज बिंदु के मध्य की दूरी बगैर जरीब मापन के ज्ञात हो जाती है।दोनो स्टेडिया तारो के तलेक्षण गज पर अंतर पढ़कर तथा इसे 100 से गुणा करके ये दूरी ज्ञात कर ली जाती है।
तलेक्षण गज( Levelling Staff)
ये एक सीधा,लम्बा , आशंकित दण्ड होता है, जिसको स्टेशन बिंदु पर सीधा खड़ा करके ,इसपर लेवल यंत्र से निकलने वाली दृष्टि रेखा की ऊर्ध्व दूरी पढ़ी जाती हैं।इसपर पेंट से मीटर के निशान बने होते है।
गज पर सफेद पेंट के आधार पर काली/ सफेद पट्टियों के रूप में मीटर की दूरीओ के निशान बने रहते हैं। प्रत्येक पट्टी की मोटाई 5mm रखी जाती हैं, जो गज का अल्पतम मापांक ( least Count) होता है। एक मीटर में 200 पट्टियां 100 काली/ 100 सफेद होती है।
मीटर के निशान गज की बाई तरफ लाल पेंट में तथा डेसीमीटर के भाग गज के दाई ओर काले रंग से अंकित होते है।
गज के प्रकार
गज दो प्रकार के होते हैं।
(1) लक्ष्य या टारगेट गज ( Target Staff)
(2) स्वपाठी गज ( Self Reading Staff)
(1) लक्ष्य या टारगेट गज ( Target Staff)
इस प्रकार के गज में सामने की फलक पर ऊपर नीचे सरकने वाली एक फिरकी लगी होती हैं।टारगेट पर वार्नियर के निशान बने रहते है।लेवल यंत्र से आने वाली क्षैतिज दृष्टि रेखा की सीध पर लेवल वाला के संकेत के अनुसार ,गज वाला टारगेट को ऊपर नीचे सरका कर गज पर सेट कर देता हैं।
सेट हो जाने के बाद गज का पाठ्यांक गज वाला पढ़ता हैं और लेवल पंजी में दर्ज करता है।
जब स्टेशन बिंदु लेवल यंत्र से काफी दूर (100 m) से अधिक लिए जाते है।तब टारगेट गज का प्रयोग किया जाता है। परन्तु टारगेट गज के प्रयोग में अधिक दिक्कत आती है और पाठ्यांक पढ़ने में त्रुटि हो सकती है।इसमें पाठ्यांक पढ़ने में समय भी अधिक लगता है इसी कारण इसका प्रयोग सीमित होता है।
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GK
Arpita Sharma
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ReplyDeleteGEETESH KUMAR
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Pawan kumar gupta
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P sir
ReplyDeleteP sir
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ReplyDeleteSandeep kumar 1st
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Nidhi singh
ReplyDeletePRESENT SIR
Gyanendra pratap singh
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ReplyDeleteSantosh Gupta
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ReplyDeletePriyanshu sharma
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Balram Jaiswal
ReplyDeleteP sir
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ReplyDeleteRitesh
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Sanjeev Kumar
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Pooja Yadav
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Nidhi singh
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Sushant Kumar
ReplyDeletePresent sir ji
Pooja Yadav
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