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Showing posts from July, 2021

विज्ञान की प्रमुख शाखाएं

(1) पीड़ोलाजी (padology) मिट्टी का अध्ययन  ट्रिक पेड़ मिट्टी में लगते है।  (2) अरबोरी कल्चर (Arboriculture) वृक्ष उत्पादन संबंधी  (3) इकोलाजी (Ecology) जीव पर्यावरण के बीच अध्ययन  (4) बनोस्टिक   ध्वनि से संबंधित  ट्रिक स्टिक से ध्वनि होती है  (5) एपीग्राफी ( Epigraphy) शिलालेख संबंधी ज्ञान का अध्ययन  (6) ऑर्थोपेडिक (orthopedic) अस्थि उपचार का अध्ययन  (7) एस्ट्रोलाजी (Astrology) ग्रह ,नक्षत्र के प्रभाव का अध्ययन  (8) एस्ट्रोनॉमी ( Astronomy) खगोलीय पिंडों का अध्ययन  (9) ओलेरीकल्चर ( olireculture) सब्जियों का अध्ययन  (10) कार्डियोलॉजी (Cardiology) हृदय का अध्ययन  (11) कीमोथेरेपी (chemotherapy) कैंसर का अध्ययन  (12) एंटोमोलॉजी(  Entomology ) कीड़ों का अध्ययन  (13) लैपीडेटेरियोलॉजी तितलियों का अध्ययन  (14) डर्मोटोलॉजी मानव त्वचा का अध्ययन  (15) ओकोलॉजी कैंसर संबंधी रोगों का अध्ययन  (16) एरेनियोलॉजी मकड़ो का अध्ययन  (17) डेमोग्राफी जनसंख्या का अध्ययन  (18) हिस्टोलॉजी उत्त...

साइंस , अविष्कार और अविष्कारक ,

  1-यांत्रिक ऊर्जा को वैधुत ऊर्जा में परिवर्तन करता है  डायनेमो   2- वैधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन करता है   मोटर   3 ध्वनि ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन  माइक्रोफोन   4 विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा  में परिवर्तन  लाउड स्पीकर   5 रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन  विद्युत सेल  6 सोलर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन  सोलर सेल  7 रसायनिक ऊर्जा से प्रकाश और ऊष्मा में परिवर्तन  मोमबत्ती   8 प्रकाश ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन  फोटो इलेक्ट्रिक सेल  9 यांत्रिक ऊर्जा से ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तन  सितार   10 ऊष्मा ऊर्जा से यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन  इंजन    मात्रक   11 लम्बाई का मात्रक   मीटर   12 विद्युत धारा का मात्रक  एम्पियर   13 तापमान का मात्रक  केल्विन   14 पदार्थ की मात्रा का मात्रक  मोल   15 ज्योति तीव्रता का मात्रक  कैंडिला   16 समतल कोण  रेडियन   17 ठोस को...

इस्पतिय छत कैंचिया ( Steel Trusses)

  इस्पतिय छत कैंचिया ( Steel  Trusses)  छत कैंचिया प्रत्यक्ष प्रतिबलो को सहन करने वाले सदस्यों से रचित संरचना का अवयव हैं ।इन्हे खुली वेब धरन भी कहते हैं। कैंची तनन और संपीडन उपयोग के त्रिकोणीय जाल के रूप में होता है।ट्रस के जोड़ पर भार और प्रतिक्रिया लगती है। 6 मीटर से अधिक विस्तृत के लिए छत कैंची अधिक मितव्ययी होती है।  छत कैंची के मुख्य घटक ( Main Components of Roof trusses)  छत कैंची के विभिन्न घटक निम्न हैं  (1) शीर्ष कार्ड सदस्य (Top chord member)  (2) तली कार्ड सदस्य या उपांग (Bottom chord member)  (3) वेब सदस्य (Web member)   (1) शीर्ष कार्ड सदस्य (Top chord member)   उपांगो के आलम्ब एक सिरे से दूसरे सिरे को जोड़ने वाली ऊपरी रेखा जो कैंची के चोच से गुजरती है।को ऊपरी कार्ड कहते हैं   (2) तली कार्ड सदस्य या उपांग (Bottom chord member)  कैंची में एक आलम्ब से दूसरे आलम्ब के बीच जोड़ने वाली सबसे निचली रेखा को निचली कार्ड उपांग कहते हैं। कैंची की तली कार्ड उपांग सीधी होती है।  (3) वेब सदस्य (Web member)...

Steel structures MCQ part 9

  1- धरन पर अनुप्रस्थ भार आने से क्या परिणाम हो सकते है । a) अपरूपण  b) वेब विकलांगता  c) विक्षेप  d) सभी  2 धरन में बंकन के फलस्वरूप कौन सा प्रतिबल उत्पन्न होगा । a) अपरूपण प्रतिबल  b) बंकन प्रतिबल  c) तनन प्रतिबल  d) सभी  3- बंकन समीकरण हैं। a) 2M/I=f/y=E/R  b)M/I=f/y=R/E  c) M/I=2f/y=E/R   d)M/I=f/y=E/R   4- धरन मे अधिकतम विक्षेप का मान होना चाहिए।  a) विक्षेप< विस्तृति /315  b) विक्षेप> विस्तृति /325  c)विक्षेप= विस्तृति /325  d)विक्षेप< विस्तृति /325 ;  5 ISMB कहते हैं  a) Indian standard light beam  b) Indian standard medium channel  c) Indian standard heavy T section  d) Indian standard medium beam  6 जब बीम पर त्रिभुजाकार भार आता है। तब बंकन आघुर्ण होगा। a) wl/2  b) wl^2/8 c) Wl/6  d) wl  7- स्तम्भ आकार कितने प्रकार का होता है?  a) 3  b) 4  c) 2 d) 5  8 आधार प्लेट की मोटाई का सूत्र है।  a) t= √[3w/σbs][a^2-B...

स्तम्भ -आधार Column Bases

  स्तम्भ आधार के प्रकार   मुख्य: स्तम्भ आधार तीन प्रकार होते है। (1) स्लैब आधार  (2) गसेट आधार  (3) जालदार (ग्रिलेज) नींव  ( 1) स्लैब आधार (Slab Base)  कम भार के लिए केवल इस्पात पट्टिका स्तम्भ भार कंक्रीट पेडेस्ट्रल में स्थानान्तरित करने के लिए प्रयोग करते हैं।इस तरह के आधार पट्टिका को स्लैब आधार कहते है। जब स्तम्भ पर सीधा भार के साथ बंकन आघूर्ण कार्य कर रहा हो तो गुटका एंगल प्रयोग करते हैं जो आधार पट्टिका और स्तम्भ के फ्लैंज से जुड़े होते हैं   ऐसा माना जाता है की अधिकतम बंकन आघूर्ण स्तम्भ के छोर पर अपघटित होता है। बंकन के कारण उत्पन्न एक अक्ष के सापेक्ष प्रतिबल , अन्य अक्ष पर बंकन में व्युत्पन्न प्रतिबल से प्रभावित होता है।  X-X अक्ष से प्रक्षेपित स्लैब की 1 mm पट्टी strip लेने पर  अधिकतम बंकन आघूर्ण = w x1 x a xa/2 = wa^2/2 Y-Y अक्ष से प्रक्षेपित स्लैब की 1mm पट्टी लेने पर ,तब  अधिकतम बंकन आघूर्ण  = w x1 x b x b/2 = wb^2/2  माना σat1 एवं σat2 ,लटक a और b के लिए क्रमश: अधिकतम तनन प्रतिबल हो एवं σbs स्लैब आधार में बंकन प्...

Levelling Part 3 staff

  स्वपाठी गज ( Self reading Staff)  ये गज लेवल वाला द्वारा पढ़ा जाता है।और गज वाला केवल गज को पकड़ कर सीधा खड़ा रहता है।दृष्टि रेखा द्वारा गज अंक बेधन तथा गज पठन , दोनों कार्य लेवल वाला द्वारा ही किया जाता है।दूरबीन से देखने पर इसका आशंकन उल्टा दिखाई देता हैं। अत: गज पठन ऊपर से नीचे को किया जाता है। स्वपाठी गज अनेक प्रकार के बनाए जाते है। a) एकल खण्डी या ठोस गज  b) मुड़वा गज (Folding Staff) c) टेलेस्कोपी गज (Telescopic or Sopwith Staff) d) इंवार परिशुद्ध गज ( Invar Precision Staff)  एकल खण्डी या सीधा गज (One length or Solid Staff)   इस गज को रुड़की पैटर्न गज भी कहते है ये गज सामान्यत: 3 मीटर की लम्बाई में , भली प्रकार से संशोधित , गांठ रहित ,सीधे रेशे वाली लकड़ी से एकल खंड में बनाया जाता है।इसके चौड़े भाग पर काली व सफेद रंग की पट्टियां बनी रहती हैं।  एकल खण्डी गज हल्का होता है, सुहस्त तथा स्थिर होता है।इसपर पाठ्यांक आसानी से पढ़े जा सकते है।ये अन्य गज से सस्ता होता है। इसे एल्यूमिनियम की धातु से भी बनाते हैं।  मुड़वा गज( Folding Staff)  इस गज की ल...

Surveying MCQ Part 6

 (1) तलमापी यंत्र के मुख्य घटक हैं। a) दूरबीन नलिका  b) नेत्रिका  c) फोकसी पेंच  d) मंद गति पेंच  e) सभी  (2) पाणसल (Bubble Tube) का कार्य होता है। a) लेवल को फोकस करना  b) कोण ज्ञात करना  c) लेवल को समतल करना  d) इनमे से कोई नहीं  (3) बिम्बपट पर प्रतिबिंब बनता हैं  a) सदैव काल्पनिक उल्टा  b) सीधा  c) वास्तविक परन्तु उल्टा  d) वास्तविक परन्तु सीधा  (4) गज का क्या कार्य होता हैं। a) ऊंचाई बताना  b) कोण बताना  c) दूरी नापना  d) बेंच मार्क बनाना  (5) गज कितने प्रकार का होता हैं। a) 2  b) 3  c) 5  d) 6 (6) पश्च दृष्टि ( back sight ) होती हैं। a) गज से लिया गया कोई भी पाठ्यांक  b) गज से लिया गया अंतिम पाठ्यांक  c) गज से लिया गया पहला पाठ्यांक जो बेंच मार्क पर लिया जाता है। d) इनमें से कोई भी नहीं। (7) समानीत तल कहते है। a) अग्र दिकमान को  b) अग्र दृष्टि को  c) पश्च दृष्टि को  d) किसी स्थान के लेवल को  (8) लेवल यंत्र का समायोजन होता है। a) स्थाई समायोजन...

Steel structures MCQ Part 8

 (1) स्ट्रट होता हैं । a) सम्पीडन उपांग  b) तनन उपांग  c) लचीला उपांग  d) मरोड उपांग  (2) परिभ्रमण त्रिज्या की विमा हैं।  a) mm^2  b) mm  c) mm^3  d) mm^4  ( 3) स्ट्रट का काट खण्ड का मान हैं । a) सकल क्षेत्रफल  b) शुद्ध प्रभावी क्षेत्रफल  c) शुद्ध क्षेत्रफल  d) सभी  (4)  अक्षीय सम्पीडन मे अनुमेय प्रतिबल मुख्यतः अश्रित हैं।  a) तनुता अनुपात, b) परिभ्रमण त्रिज्या  c) खण्ड का क्षेत्रफल  d) प्रभावी लम्बाई  (5) तनुता अनुपात,प्रभावी लम्बाई और ......... का अनुपात होता है। a) क्रान्तिक भार  b) परिभ्रमण त्रिज्या  c) काट खण्ड क्षेत्रफल  d) काट का भार  (6) संरचनात्मक जोड़ में यदि उपांग में सम्पीडन हो ,तो जोड़ की अधिकतम पिच निम्न के न्यूनतम या 200 mm  a) 12t  b) 16t  c) 32t  d) 16d  (7) स्तम्भ की विफलता निर्भर करता है। a) स्तम्भ भार  b) स्तम्भ लम्बाई  c) तनुता अनुपात  d) स्तम्भ का काट क्षेत्रफल  (8) एक संरचनात्मक उपांग जिस पर सम्पीडन इसके अन...

Beam steel structures Part2

 वेब व्याकुँचन( Web Buckling)   वेब बकलिंग ट्रांसवर्सली लागू होने वाले केंद्रित बलों से उत्पन्न होते हैं। ... वेब का बकलिंग तब होता है जब वेब बहुत पतला होता है और फ्लेंज से स्थानांतरित किए जा रहे अनुप्रस्थ बल को वहन नहीं कर पाता है। इसमें वितरण कोण 45° लिया जाता है। Fwb= (b1+n1)tw.fc    Fwb=  वेब व्याकुँचन सामर्थ्य        b1= धारण लम्बाई        tw= वेब मोटाई         fc= अनुमेय सम्पीडन प्रतिबल         n1= काट के मध्य पर 45° वितरण रेखा  वेब विकलांगता ( Web Crippling) जब धरन में बिंदु भार लगा हो तो बिंदु भार के कारण धरन की वेब में किसी बिंदु पर धरन के नीचे समुचित धारण क्षेत्रफल न होने के कारण पंगु होने की संभावना होती है इसे ही वेब विकलांगता अथवा वेब का पंगु होना कहा जाता है। यहां फ्लेंज के ऊपरी रेशे से भार के लिए वितरण कोण 30° माना जाता है।  वेब विकलांगता सामर्थ्य आलंब पर नियमानुसार ज्ञात करेंगे। Fcrip = (b1+n2)tw fyw       b1= धारण लम...

Compass survey 2 ( meridian,याम्योत्तर)

  याम्योत्तर (Meridian) कोई संदर्भ दिशा जिसके संदर्भ में किसी सर्वे रेखा की दिशा ज्ञात की जाती है।उसे याम्योत्तर कहते है। ये तीन प्रकार के होते है। (1) भौगोलिक, या सत्य या दिगांश याम्योत्तर (Geographic, true or Azimuth Meridian) (2) चुम्बकीय याम्योत्तर (Magnetic Meridian) (3) स्वैच्छिक याम्योत्तर(Arbitrary Meridian)  (1) भौगोलिक, या सत्य या दिगांश याम्योत्तर (Geographic, true or Azimuth Meridian) ये एक काल्पनिक तल होता है।जो किसी बिंदु से पृथ्वी के उत्तर दक्षिणी ध्रुव से पास होता हुआ माना जाता है।ये उस बिन्दु का सत्य याम्योत्तर कहलाता है। सत्य याम्योत्तर की दिशा अपरिवर्तनीय तथा यथार्थ है।इसे भौगोलिक याम्योत्तर भी कहते है। चूंकि भौगोलिक याम्योत्तर की दिशा निर्धारण करना काफी कठिन होता है, इसी कारण सामान्य सर्वेक्षण में चुम्बकीय याम्योत्तर लिया जाता है। नोट   सत्य याम्योत्तर खगोलीय प्रेक्षणों द्वारा ज्ञात किया जाता है। सत्य दिकमान (True Bearing) सत्य याम्योत्तर से कोई सर्वे रेखा जो क्षैतिज कोण बनाती है, वो कोण उस। सर्वे रेखा का सत्य दिकमान कहलाता है। क्योंकि सत्य याम्योत्तर ...

Levelling part 2

  लेवल मापी ( तल मापी ) यंत्र के प्रकार ( Types of level)   लेवल उपकरण निम्न प्रकार के होते हैं। (1) डम्पी लेवल (Dumpy Level)  (2) वाई लेवल ( Wye or y level)  (3) उत्क्रमणीय लेवल ( Reversible Level)  (4) झुकाऊ लेवल ( Tilting level)  (5) आधुनिक लेवल ( Modern level)  (1) डम्पी लेवल (Dumpy Level)   इस लेवल का विकास ग्रेवेट ने किया था ।डम्पी लेवल में इसकी दूरबीन नलिका दो कालरो द्वारा ऊध्र्वाधर पिंडी ( Spindle) से स्थाई रूप से जुड़ी रहती है। इस कारण दूरबीन न ही अपने अनुदैर्ध्य अक्ष के प्रति घुमायी जा सकती है और न ही आलम्बो से बाहर निकाली जा सकती है। लेवल की पिंडी समतलन हेड की साक्ट में घूम सकती है। इसे ठोस डम्पी भी कहते है। इसमें दूरबीन के एक सिरे पर अभिदृश्य कांच (Object Glass) लगा रहता है। तथा दूसरे सिरे पर नेत्रिका ( eye piece) लगी रहती है।  नेत्रीका के आगे नलिका में बिम्बपट (Diaphragm) फिट होता है। फोक्सी पेंच द्वारा दूरबीन का फोकस करने पर स्टेशन बिंदु पर रखे गज का उल्टा प्रतिबिंब बिम्बपत Diaphragm पर पड़ता है, जिसे नेत्रीका की सहायता से...